mahgayi ka ilaaj by Jitendra Kabir
मंहगाई का इलाज
ऐसा नहीं है कि
उन्हें सस्ती मिल रही हैं सब्जियां
और घर के राशन का
सारा सामान,
ऐसा भी नहीं कि
पैट्रोल, डीजल और रसोई गैस में
मिल रहा हो उन्हें
अलग से कोई अनुदान,
बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं
और खराब सड़कों की कीमत
वो भी चुकाते हैं
देकर अपनी जान,
रोजमर्रा के उपभोग की
हर वस्तु के दाम में बढ़ोतरी ने
कर रखा है
उनका भी जीना हराम,
लेकिन आम जनता से इतर
मंहगाई से परेशान होने के बजाय
सरकारों के कट्टर समर्थक
मंहगाई से अपना ध्यान
हटाने के लिए
विपक्षियों की आलोचना करने पर
ज्यादा लगाते हैं ध्यान,
देश खतरे में है,
धर्म व संस्कृति खतरे में है -
के नारे जोर-शोर से लगाकर भी
उनकी तड़पती आत्मा को
मिल जाता है काफी हद तक आराम,
वैसे अगर देश की समस्त जनता चाहे
तो वो भी कर सकती है
उनके तरीकों को अपनाकर
अपनी सब समस्याओं का निदान,
लेकिन उससे पहले सबको करना होगा
धर्म,जाति, वर्ण व्यवस्था,अंधविश्वास
और नफरत की अफीम का अनुपान,
इस मार्ग पर चलने से ही बनेगा
अपना देश महान।