Suvidha by Jitendra Kabir
सुविधा
सुनो स्त्री!
जिनके लिए सुविधा हो तुम...
पूरे परिवार को
खाना पकाने व खिलाने की,
घर के अंदर-बाहर साफ-सफाई
और बाहर
पशुओं के लिए चारे-पानी का
नित्य इंतजाम करते जाने की,
फसलों के लिए दिन-रात
बिना थके खटते जाने की,
आस-पड़ोस और रिश्तेदारी में
भाईचारा निभाने की,
बच्चों को नहलाने- धुलाने,
स्कूल छोड़ने-लाने से लेकर
पढ़ाने-लिखाने की,
उनसे अगर तुम्हें उम्मीद है
बाहरी किसी नौकरी के लिए
समर्थन की,
तो बहुत संभव है कि करना पड़े तुम्हें
निराशा का सामना कई बार,
वो क्या है कि
सुविधा का मोह छोड़ना
किसी भी इंसान के लिए
होता है मुश्किल,
इस बात को समझ लो
तुम जितना जल्दी,
उतनी ही आसानी होगी तुम्हें
अपने लिए निर्णय कोई लेने की।