लोग क्या सोचेंगे-डॉ. माध्वी बोरसे!
November 25, 2021 ・0 comments ・Topic: lekh
लोग क्या सोचेंगे!
कहने का तात्पर्य है और कहानी का मतलब यह है की चाहे आप कितना ही अच्छा कर लो, जो भी करो, कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना! सोचने दीजिए लोगों को जो वह सोचते हैं क्योंकि अगर हम भी यही सोचेंगे की लोग क्या सोचेंगे, तो फिर लोग क्या सोचेंगे!
जिंदगी में हमेशा एक बात याद रखना दोस्तों,
यह जिंदगी एक ही है, इसे खुल कर जियो,
मस्ती से जियो, और जो आपकी आत्मा गवाही देती है, वही काम करो!
लोग क्या सोचेंगे, लोग क्या कहेंगे, यह सब सोच कर बहुत सी लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई है और याद रखिए जिनके पास कोई कार्य नहीं होता, वही यह सोचता रहता है और दूसरों की बात कर समाज में निंदा करता रहता है! अगर आपको नहीं पता की दूसरों की जिंदगी में क्या चल रहा है, तो आप कौन होते हो सोचने वाले? अगर आपको कुछ सोचना है, खुद के बारे में सोचिए, स्वयं को पहचानिए, स्वयं को बेहतर बनाइए, दूसरों के बारे में सोच सोच कर, अपना जीवन खराब मत कीजिए और दूसरों के भी जिंदगी में अड़चन मत बनिए!
हमने अक्सर देखा है, कोई बच्चा अपने हिसाब से विषय लेना चाहता है, तो लोग उसे गाइड करने लगते हैं, बहुत से लोग गलत रिश्ते में बंध जाते हैं या विवाहित हो जाते हैं और अलग होना चाहते हैं, तो लोग उन पर टिप्पणी करने लगते हैं, देखिए आज नहीं तो कल जिन पर आप टिप्पणी कर रहे हैं, खुदा ना करे कि आपको कोई ऐसा वक्त देखना पड़े या आपके बच्चों को!
अगर किसी रिश्ते में, अत्याचार, दर्द, परेशानियां ही परेशानियां हे, तो उस रिश्ते को उसी वक्त खत्म करें, अत्याचार सहने वाला और करने वाला दोनों ही पापी होता है!
21वीं सदी में सभी के पास, मानव अधिकार है, और जो अधिकार कानून ने दिया है उस पर लोग टिप्पणी करें, या अपने खाली समय में बैठकर निंदा करके चटकारे ले, कोई बात नहीं दोस्तों, आप शिक्षित इसलिए नहीं हुए हैं, कि आप कानून को ना मानकर, अपने मानव अधिकार को छोड़कर, ऐसे लोगों की बातों के बारे में सोचें, जिनकी छोटी, दकियानूसी सोच है! जो एक मनुष्य को अपने जीवन जीने का अधिकार भी नहीं देना चाहते!
आजकल के वक्त में ऐसे बहुत से केस सामने आ रहे हैं, जिसमें अगर कोई इंसान, क्रोधित होता है, या धमकियां देता है तो उसी परिवार के लोग, सामने वाले को कहते हैं मान जाओ! ऐसे मनुष्य की बात मानने की जगह उसको कोई अच्छे साइकाइट्रिक को दिखाइए या पुलिस स्टेशन मैं कंप्लेंट कीजिए! किसी से डरिए नहीं, निडर होकर जिए, किसी की गलत बात मत मानिए, जब आपको जिंदगी भर, तड़पना पढ़े, सहना पड़े!
बहुत सी लड़कियां, ऐसे लड़कों की कोई कंप्लेन नहीं करती, जो उन्हें कहीं ना कहीं छेड़ रहे होते हैं, नाही स्टेप उठाती है, यह सोच कर कि लोग क्या कहेंगे, आप लोगों को छोड़िए और यह सोचिए कि आपकी आत्मा क्या कहेगी, आपकी शिक्षा क्या कहेगी, और जिस ईश्वर ने आपको यह शरीर, दिमाग, सोचने, समझने की बराबर शक्ति दी है, तो वह क्या सोचेगा!
बहुत से लोग, आज भी अपने मनपसंद के वस्त्र धारण नहीं करते, भोजन नहीं खाते, जिंदगी नहीं जीते, और बस यही सोचते रहते हैं लोग क्या सोचेंगे, अगली बार से, अगर आपको कुछ सोचना है तो सोचिए, वही लोग सोचेंगे जिनके पास कोई कार्य नहीं है, और अपने लिए नहीं सोच सकते तो ऐसे लोगों के बारे में, सोचकर यह क्यों सोचना की लोग क्या सोचेंगे, लोग क्या कहेंगे, सिर्फ यह सोचिए, कि अगर हमने कोई सही कदम, सही समय पर, नहीं उठाया तो हमारी आत्मा क्या सोचेगी, हमारी शिक्षा क्या सोचेगी और हमारी जिंदगी कैसी हो जाएगी!
लोग सोच रहे हैं, सोचने दीजिए,
जो आपका दिल कहे, वही कीजिए,
किसी की जिंदगी में मुश्किल ना बनिए,
खुद भी जिए और दूसरों को भी जीने दीजिए!
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