Bal divash by Jayshree virami

 बाल दिवस

Bal divash by Jayshree virami

आज नवाजेँ चालों अपने नौ निहालों को

सजाएं उनके जीवन को बचाएं उन्हे बालाओं से

सुख दुःख से कराएं  उन्हे अवगत

बनाएं उन्हे सृहद परिजन

नादानियों के कांटों में पनपते इन फूलों को 

गुलजार हमें बनाना हैं

इन्हे सीखाना हैं मानव बनना

मशीनों के बीच न बन के रह जाए वे मशिनें

आज के परिपेक्ष में भी उन्हें अपने ही संस्कारों को आगे बढ़ाना हैं

जगानी हैं एक अगन आगे बढ़ने की

ऐसी लगन को दिल में लगाना हैं

भूले नहीं हम सभी अपने फर्ज को

उन्हे भी यही पाठ पढ़ाना हैं

चले वो अपने ही धर्म कर्म पर

भूले न मानवता को

इस प्यारी पृथ्वी को उन्हे ही सजना हैं

बाल दिवस को आओं मनाएं

नए जमाने के तरीकों से

हट जाए भले हम पुरानी लकीरों से

पर न भूले अपने रिवाजों को


जयश्री बिरमी
अहमदाबाद

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