Manzil by Indu kumari
November 18, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
मंजिल
भूल जाना किसी तरह से
जो राह की रूकावट है
सजा लेना माथे पे सदा ही
जो जिन्दगी की सजावट है
कामयाबी की सीपी प्रयत्न
सौपान से ही मिलती है
सुन्दरता की मिसाल कमल
आकंठ कीचड़ में रहती है
जिन्दगी के थपेरों से सीखें
मंजिल की नाव पर चढ़ना
जब बढ़ने की तरप होगी
रोके नहीं रूकेगी बढ़ना
कर्म पथ है जीवन प्यारे
चलते सदा-सदा ही रहना
मंजिल तो मिलकर रहेगी
फतह हासिल होकर रहेगी
खुशियों की सौगात मिलेगी
मंजिल की मुस्कान मिलेगी।
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