Rotiya by vijay Lakshmi Pandey

November 07, 2021 ・0 comments

 रोटियाँ...!!!

Rotiya by vijay Lakshmi Pandey


हमनें    पूरे   जीवन    में 

कुल  दस  रोटियाँ  बनाईं

पहली माँ के लोइयों को थपथपाई

खुशियाँ   मनाई   नाची गाई...!!!


हमनें   पूरे     जीवन   में 

कुल  दस  रोटियाँ बनाईं

दूसरी बीती  दीवाली  की 

सुबह मिट्टी के दिए में सजाई..!!!


हमनें    पूरे   जीवन    में 

कुल  दस   रोटियाँ बनाई

तीसरी माँ से छुपकर बनाई

उसे  चींटियों को  खिलाई..!!!


हमनें  पूरे    जीवन   में

कुल दस  रोटियाँ बनाई

चौथी सखियों के घर बनाई

भोग प्रभु  को  लगाई...!!!


हमनें    पूरे    जीवन  में 

कुल दस रोटियाँ  बनाई

पाँचवी सीखनें के तौर पर बनाई

उसे   माँ  को    खिलाई..!!!!


हमनें    पूरे   जीवन    में 

कुल  दस   रोटियाँ बनाई

छठवीं पाठशाला में बनाई 

गुरुजन वृन्द को  खिलाई..!!!


हमनें    पूरे    जीवन  में

कुल   दस रोटियाँ बनाई

सातवीं बड़े प्रेम से बनाई

उसे    पति   को  खिलाई...!!!


हमनें    पूरे   जीवन    में

कुल दस   रोटियाँ बनाई

आठवीं उत्साह से बनाई

रिश्तेदारों  को    खिलाई..!!!


हमनें   पूरे    जीवन  में

कुल  दस रोटियाँ बनाई

नवीं वात्सल्य से बनाई

उसे   बेटे  को  खिलाई...!!!


हमनें  पूरे   जीवन   में

कुल दस रोटियाँ बनाई

और आखिरी दसवीं रोटी

मजबूरी में खुद के लिए बनाई,क्या खाई...??


इस "विजय" नें पूरे जीवन में 

कुल  दस    रोटियाँ     बनाई 

खुद के लिए बनाई ,खाई न खिलाई

बीती रोटियों को गिन कर मुस्कुराई..!!!✍️

                   विजय लक्ष्मी पाण्डेय
                   एम. ए., बी.एड(हिन्दी)
                   स्वरचित मौलिक रचना
                         आजमगढ़, उत्तर प्रदेश

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