Ravan ko har bar aana hai by komal Mishra
November 07, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
रावण को हर बार आना है
रावण लौट आया है,
मन बड़ा घबराया है।
छोटी को कहा था,
बाहर मत जाना!!
रावण आने वाला।
सुनती नहीं है मेरी,
करती रहती है मनमानी।
कहती है कहाँ तक रूकूँ मैं??
बोलो कहाँ तक छुपूँ मैं??
बताओ किस-किस कि नजरों से,
मुझे ख़ुद को बचाना है??
रावण आएगा तो,
ख़ुद को कहाँ छुपाना है।
तब सोचती हूँ मैं,
हर बार तो आता है,
किसी एक को निगल ही जाता है।
पर हम चुप रहते हैं और कहते हैं,
तू बाहर मत जा !!!
हमें बस अपनी इज्जत बचाना है,
रावण को तो हर बार आना है।।
कुचल कर किसी सीता को,
फ़िर चले ही जाना है।
रावण को तो हर बार आना है,
हमें बस पुतले जलाना है।।
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