मानव तन - डॉ इंदु कुमारी

 मानव तन अनमोल 

यह तन पानी का बुलबुला
माया नगरी यह है संसार
तारण हार प्रभु संग है
खोज लो बारम्बार

बीता हुआ अनमोल
समय वापस न होगा
बचा का कर उपयोग
मानव तन ना मिलेगा

यही है मंदिर मस्जिद
गिरजाघर व गुरुद्वारा
साईं तो उर में विराजैं
लख ले जो लख पावै

नौ द्वार की सीढ़ी लगी
दसम द्वार टप जाना है
हमारे प्रिय वहीं मिलेंगे
आपस में क्यों लड़ेंगे ।

यहाँ धर्म ना संप्रदाय
सच्चे मार्ग पर चल के
खोले प्रभु के द्वार
हमें मिले स्थाई प्यार ।

डॉ. इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार

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