मशवरा- R.S.meena indian

मशवरा

मशवरा- R.S.meena indian
इशारों में मुझकों बुलाती है,मगर जाने का नही ।
अपना उश्शाक बनाती हैं,उधर जाने का नही ।।

इश्क़ में खो जाने का ,हद से गुज़र जाने का नही।
उसे चाँद तारे भी दे दो,मगर जान देने का नही ।।

ये ग़म भरी है ज़िन्दगी, हँसने का रोने का नहीं।
मुश्किलों से करना सामना कभी हारने का नहीं ।।

फैली हैं नफ़रत, प्रेम से रहने का डरने का नहीं।
चलेगी जुल्म की आंधी ,मगर मरने का नही ।।

अरसों बाद "स्वरूप"को दावत मिली, आओगे नहीं।
पता चला खाने में था ज़हर,क्या जाओगे नहीं ।।

हाँ किया है धोखा ,मगर हार कर जाने का नही।
मर जाने का ,मगर ज़ालिम से डर जाने का नहीं।।

उश्शाक-प्रेमी अरसा-लंबा समय जालिम- दुष्ट दावत-न्योता

R.S.meena indian

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