दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार
January 24, 2022 ・0 comments ・Topic: kishan bhavnani poem
भज़न
दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार
दे दो दर की नौकरी सतगुरु जी एक बार
बस इतनी तनखा देना तेरा होता रहे दीदारतेरे काबिल नहींहूं सतगुरु फिरभी काम चला लेना
जैसा भी हूं तेरा हूं मेरे सारे अवगुण हर लेना
बस तेरी कृपा होगी सतगुरु तेरी कृपा होगी
मेरा सुधरेगा संसार...
सारे जगत के दाता हो तुम मेरी क्या औकात है
तेरे दर की सेवा करना तो किस्मत की बात है
मानूंगा तेरा कहना सतगुरु दिल में मेरे रहना
तेरा करता रहूं दीदार...
संकट हरता मंगल करता सतगुरु तेरा नाम है
यह तन मन यह जीवन सतगुरु अब तो तेरे नाम है
चरणों में सतगुरु रखना दिल में हमको बसाना
और देना हमको प्यार...
मांगने की आदतहै सतगुरु लाज़ तेरेदर आती नहीं
परवाह करूं क्यों दुनिया की मैं दुनिया तो बिगड़ी
बनाती नहीं तेरा काम है बिगड़ी बनाना भटकों
को राह दिखाना दर पर आता रहूं हर बार..
ओ मेरे दाता सतगुरु दानी तू है कृपालु वरदानी
भीख दे देना हमको सतगुरु नौकर हम अज्ञानी
निखिल की है विनती सारी संगत की है विनती
कृपा करते रहो हर बार...
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