आम जनता का नसीब- जितेन्द्र 'कबीर'
आम जनता का नसीब
आम जनता के लिएधर्मस्थलों पर ईश्वर के दर्शन हेतू
प्रक्रिया अलग है
और 'वी.आई.पी.' के लिए अलग,
जनता के लिए पूजा विधि अलग है
और 'वी.आई.पी.' के लिए अलग,
जनता को दिया जाने वाला
ईश्वर का प्रसाद अलग है
और 'वी.आई.पी.' के लिए अलग,
ईश्वर के दरबार में दोनों का
चढ़ावा भी है काफी अलग-अलग,
फिर कैसे आम जनता बराबरी की सोच ले
जब दुनिया तो दुनिया
ईश्वर के सामने भी है उनकी हैसियत अलग,
उसी की वजह से भगदड़ में हर बार
कुचले जाने का नसीब है आम जनता का
लेकिन सुरक्षित घर लौट आने का
'वी.आई.पी.' का नसीब है अलग।