मुक्तक- लेखक-अरुण कुमार शुक्ल
मुक्तक
1ऋतू बरसात कि जो हो तो हर एक पुष्प खिलता है,
बदरी हो मिले ही छांव न कि धूप मिलता है।दगा देके रुलाते जो हैं ये मालूम क्या उनको,
रोता है मगर हर आंस से ओ जख्म सिलता है॥
2
सूरज जब निकलता है तो कलियां खिलखिलाती हैं,
पाके प्राणप्रिय को वें तो हरपल मुस्कुराती हैं।
मानें लोग चाहे जो न अपनी हालतें अच्छी,
मैं तुझको याद आता क्या तू मुझको याद आती है॥
3
रिक्त अम्बर को सजाने धुंध उठ कर आयेंगे,
सूनी पड़ती टहनियों पे मंजरी फिर छायेंगे।
सिसकती प्यारी कली से भौरें ने रोकर कहा ,
आने दो मधुमास हम फिर तुमसे मिलने आयेंगें॥
4
मेघ अंबर में फिर से बिखरने लगे,
4
मेघ अंबर में फिर से बिखरने लगे,
दर्भ पा ओंस कण फिर निखरने लगे।
तेरी खुशबू गयी जब भ्रमर के गली,
होके मदहोश घर से निकलने लगे॥
5
साथ चलता है कोई तो चलने भी दो,
5
साथ चलता है कोई तो चलने भी दो,
हम में ढलता है कोई तो ढलने भी दो।
झूठे रुसवा करे न बुरा मानना,
कोई जलता है तो उसको जलने भी दो॥
6
छोडा जिसके लिए ओ तो पाया नहीं,
6
छोडा जिसके लिए ओ तो पाया नहीं,
बदले शीशे बदलना तो आया नहीं।
खूबसूरत बलायें बहुत हैं मगर,
मुझको तेरे सिवा कोई भाया नहीं॥
7
मन करे प्रेममय ओ सुखद बात हो,
इस जहां उस जहां मे तेरा साथ हो।
हमकों मनुहार और प्यार इतना मिले,
हर अमावस के दिन चांदनी रात हो॥
8
थोड़ा खुद को बदलना बदल जायेंगे,
7
मन करे प्रेममय ओ सुखद बात हो,
इस जहां उस जहां मे तेरा साथ हो।
हमकों मनुहार और प्यार इतना मिले,
हर अमावस के दिन चांदनी रात हो॥
8
थोड़ा खुद को बदलना बदल जायेंगे,
रौशनी देके देखो निकल जायेंगे।
लड़खड़ाते समय हाथ छोड़ा तो क्या,
हैं गिरे आज कल फिर सम्हल जायेंगे॥
9
आयेगी जब ऋतू फूल खिल जायेंगे,
9
आयेगी जब ऋतू फूल खिल जायेंगे,
पुष्प विरही भ्रमर फिर से मिल जायेंगे।
याद मेरी तुम्हें जब सताये कभी,
बूंद बारिस में आकर के मिल जायेंगे॥
10
रिक्त अम्बर को सजाने धुंध उठ कर आयेंगे,
10
रिक्त अम्बर को सजाने धुंध उठ कर आयेंगे,
सूनी पड़ती टहनियों पे मंजरी फिर छायेंगे।
सिसकती प्यारी कली से भौरें ने रोकर कहा ,
आने दो मधुमास हम फिर तुमसे मिलने आयेंगें॥