वीर बाल दिवस

वीर बाल दिवस

वीर बाल दिवस
हर साल 26 दिसंबर वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा

किसी भी संबंधित वार्षिक दिवस को रेखांकित कर उसे मनाने पर वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों तक उसका उद्देश्य और राष्ट्रभक्ति याद होती है - एड किशन भावनानी

गोंदिया - भारत वैश्विक सृष्टि में एक ऐसा अकेला देश है जिसके विस्तृत क्षेत्र का अगर गहन अध्ययन किया जाए तो हम पाएंगे कि भारत माता की गोद में संतों, महात्माओं, वीरों सहित आध्यात्मिकता, संस्कृति, मान मर्यादा, धार्मिकता, सभ्यता सहशुष्णता, संवेदनशीलता जैसे मानवीय गुणों का अथाह गढ़ है, जो हमें हजारों साल पूर्व से ही गॉड गिफ्टेड रहा है, जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी राष्ट्र सेवा में योगदान देकर आगे बढ़ाया जा रहा है।

साथियों बात अगर हम किसी वार्षिक दिवस को रेखांकित कर उसे उस उद्देश्य से मनाने की करें तो, वैश्विक रूप से हमें अधिकतम दिवस किसी न किसी उद्देश्य के लिए महत्वपूर्ण ही मिलेंगे और उसके लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे संयुक्त राष्ट्र, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ सहित अनेक संगठनों द्वारा वैश्विक स्तर पर मनाए जाते हैं तथा अनेक देश अपने अपने स्तरपर भी किसी महत्वपूर्ण दिवस की महत्वता को ध्यान में रखते हुए उस दिवस को उस खास उद्देश्य और महत्व के लिए मनाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियों, इतिहास में दर्ज़ उसका इतिहास के आधार पर उस जगह को रेखांकित कर मनाने का महत्व समझ सके और उसकी महक आने वाली पीढ़ियों तक अपनी उपस्थिति दर्ज़ करा सके।

साथियों बात अगर हम 9 जनवरी 2022 को गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाशोउत्सव मनाने की करें तो आज का दिवस देश के धर्म की रक्षा के लिए चार मासूम साहबजादों व माता गुजरी देवी का अतुलनीय बलिदान व राष्ट्रभक्ति जो देश की धरोहर है जिसे माननीय पीएम महोदय ने वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया। उल्लेखनीय है कि इस दिन चार बेटे धर्म की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे। वीर बाल दिवस मनाने के निर्णय से चार साहिबजादों की राष्ट्रभक्ति से न सिर्फ आज करोड़ों बच्चे प्रेरणा लेकर राष्ट्रसेवा में अपना योगदान दे पाएँगे बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक उनका बलिदान याद किया जाएगा, यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, पीआईबी द्वारा दी गई है।

साथियों बात अगर हम शहादत दिवस 26 दिसंबर को रेखांकित करने की करें तो इसकी पूरी गाथा इतिहास में दर्ज़ है कि, किस तरह साहबजादों को दीवारों में दफनाया गया था और बड़ी संख्या में लाचार मजबूर भीड़ ने वीर पिता के वीर सपूत के नारे लगाए थे।
साथियों देश मेरा मानना है कि राष्ट्रसमर्पित, शहादत, वीरता को किसी धर्म, समाज तक सीमित नहीं कर संपूर्ण भारत परिवार, भारत समाज तक रेखांकित करना बेहतर रहेगा यही कारण है कि 26 दिसंबर को रेखांकित कर पूरे भारतीय मानव समाज की पीढ़ियों तक इस शहादत को याद रख कर प्रेरणादाई बने। मेरा मानना है कि हो सकता है, अभी भी कुछ युवा मानव समूहों को इसकी जानकारी ना हो लेकिन ऐसी साहस भरी गाथाओं को उस दिन के लिए रेखांकित कर मनाने से राष्ट्रहित, राष्ट्रभक्ति के प्रति प्रेरणा स्रोत मिलते हैं।
साथियों बात अगर हम इस अवसर पर दिनांक 9 जनवरी 2022 को पीएम द्वारा वर्चुअल संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने कहा, यह भी कहा कि वीर बाल दिवस उसी दिन मनाया जाएगा जब साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह मुगलों से डटकर सामना करते हुए देश के लिए शहीद हुए थे। पीएम ने धर्म के नेक सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए शहीदों की सराहना की। एक अन्य ट्वीट में पीएम ने माता गुजरी, गुरु गोबिंद सिंह और उनके चार बेटों की बहादुरी और आदर्शों की भी सराहना की है। उन्होंने टिप्पणी की कि उन सभी ने लाखों लोगों को शक्ति दी और अन्याय के आगे कभी नहीं झुके। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने एक समावेशी और सामंजस्यपूर्ण दुनिया में योगदान दिया।

साथियों बात अगर हम इतिहास के पिछले कुछ पन्नों को खंगाले तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और पीआईबी के अनुसार, साहिबजादे कौन थे ? साहिबजादे गुरु गोबिंद सिंह जी के चार पुत्र थे, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी थी साहिबजादों के नाम थे साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह साहिबजादों को खालसा में शुरू किया गया था, जो 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा बनाए गए एक कुलीन योद्धा समूह थे, जो निर्दोषों को धार्मिक उत्पीड़न से बचाने के लिए थे। सभी चार साहिबजादों को 19 साल की उम्र से पहले मुगल सेना द्वारा मार डाला गया था। सिख धर्म गुरु गोबिंद सिंह के शहीद पुत्रों को अरदास प्रार्थना में खालसा योद्धा आदेश के चार राजकुमारों चार साहिबजादे के रूप में सम्मानित करता है।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती 2022- 1699 में बिहार के पटना साहिब में गोबिंद राय के रूप में पैदा हुए गुरु गोबिंद सिंह मानव रूप में सिख गुरुओं में 10वें (दशमेश) और अंतिम थे। अपने पिता, 9वें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद, वे नौ साल की उम्र में 10 वें गुरु बने प्रकाश पर्व या गुरु गोबिंद सिंह की जयंती इस साल रविवार 9 जनवरी, 2022 को मनाई गई। यह दिन हर साल दिसंबर या जनवरी में पड़ता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि किसी भी संबंधित वार्षिक दिवस को रेखांकित कर उसे मनाने पर वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों तक उसका उद्देश्य और राष्ट्रभक्ति याद होती है, इसलिए हर साल 26 दिसंबर वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लेना तारीफ ए काबिल है।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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