साँस की सुबास है।- ग़ज़ल
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साँस की सुबास है।
रात और खाब है।।तख्त ताज आज का।
ऐश ओ विलास है।।
झूठ बोलना कला।
काम ये झकास है।।
आजमा नहीं मुझे।
जीत का प्रयास है।।
है तलाश लोग को।
चीज जरुर खास है।।
आधुनिक हुए भले।
दर्द ओ खटास है।।
सादगी मरी पड़ी।
चीखता संत्रास है।।
साधना कृष्ण