यादों का सिलसिला- डॉ इंदु कुमारी
February 03, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr-indu-kumari poem
यादों का सिलसिला
तेरी हसीन यादों का
सिलसिला अमिट हैधूमिल नहीं होने वाली
प्रेम पौधे उगाने वाली
दमकती चेहरे की तरह
तरुणाई गजब है ढाती
सुखी टहनी में भी है
जान डाल देने वाली
शब्दों की समंदर में जब
सदा दिल गोता लगाता रहा
तुम्हारी एक एक शब्दों का
मेरे जीवन ज्योति की
सदा लौ बढ़ाने वाली
दिल हमारी तेरी ही
तरन्नुम की गीत गाती है
बदस्तूर ही जारी है
ना कम होगी यह तराना
दिल पटल पर लख जाना
थमते नहीं प्रिय तेरी
यादों का सिलसिला।
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