सफर- मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी"

March 25, 2022 ・0 comments

सफर

सफर- मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी"
"जिंदगी का सफर"
पेड़ की छाया जिस तरह इधर से उधर जाती है ।
आदमी की जिंदगी भी सुख-दुख में कट जाती है।
हवा के झोंकों से पेड़ के पते जैसे झड़ जाते हैं ।
सांसें रुक-रुक के चले तो जिंदगी भी थम जाती है।।
जिंदगी में दर्द न हो तो जिंदगी भी कैसी ।
दर्द-ए-दिल की दवा से जिंदगी सँवर जाती है।।
आईना भी हमसे बार-बार कुछ कहता सा है।
बार-बार देखने से क्या शक्ल बदल जाती है।।
घबरा के जिंदगी जीने से तो मौत ही अच्छी।
जिंदादिली से जीने वालों की उम्र बढ़ जाती है।।
हौसलों से ही जिंदगी का सफर तय होता है।
डूबने वाली कस्ती तो किनारे पर ही डूब जाती है।।

मईनुदीन कोहरी
"नाचीज बीकानेरी"
मो-9680868028

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