सुहानी शाम- डॉ इंदु कुमारी
सुहानी शाम
जिंदगी में सुरमईशाम आ जाए
उदासी की समंदर में
एक उफान आ जाए
दुख भरी दिनों में भी
सुर्ख होठों पर
मुस्कान आ जाए
जिंदगी एक जंग है
आहुति वक्त की देते
खींचा तानी सफर है
उस पल में भी हमें एक
हंसी शाम आ जाए
निराशा और हताशा से
धैर्य खोने लगे हम
उस घड़ी उस पल में
खुशियां हमारी
दरमियां आ जाए
सोच के महल बनाने में
पैसो के पीछे भागते रहे
हम रिश्तो की किस्तों में
असली थकान मिटाएं
चलो सुरमई शाम में
तन मन को नहाएँ
जिंदगी में सुरमई
शाम आ जाए
सबकी खुशियों के लिए
वक्त निकालते रहे आज तक
चले आज लरजते शाम को
अपने नाम कर जाए
सुहानी शाम की सफर
यादगार बनाएं
जिंदगी में सुरमई
जब शाम आ जाए।