शीर्षक-कवि का ह्रदय है
कवि का ह्रदय है खजाना विचारों का ,
कविता हैं उसकी कुंजी।हँसाते, रुलाते,कभी दिल को छू जाते
ये शब्द ही उनकी पूँजी।
कविता हैं हर एहसास जो,
मानव तू महसूस करता।
पिरोता उन्ही एहसासों को माला में शब्दों की ,
कवि फिर तू कहलाता।
बालक के बालपन को तो,
कभी यौवन की अठेलियों को।
जीवन के अनुभवों को कभी तो,
समाज के प्रति कर्तव्यों को।
कभी प्रेम इसमें छलकता,
कभी राग की ज्वाला जलती।
कभी श्रृंगार से सरोबर,
तो कभी हास्य की फुहार चलती।
जब तक जीवन कवि का,
हर रंग को है कलम कहती।
ना रोकना इसे कभी,
कवि की कविता उसकी धड़कन सी होती।
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com