वाह क्या किस्मत पाई है!
April 27, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr_Madhvi_Borse poem
वाह क्या किस्मत पाई है!
रात रात भर जाग के, की उसने मेहनत ,
जीते बहुत से पुरस्कार और परिश्रम किया बेहद,
और कुछ लोगों ने कहा वाह क्या किस्मत पाई है,
आखिर कैसे एक ही कक्षा में इतने पुरस्कार लाई हे !
कम उम्र में ही उसने की नौकरी शुरू और बच्चों को ट्यूशन दिया ,
दिन भर काम रात भर पढ़ाई और खूब सारा अनुभव लिया,
और लोगों ने कहा वाह क्या किस्मत पाई है,
इतनी कम उमर में इतना सारा अनुभव केसे लाई हे!
कभी निमोनिया तो कभी ज्वाइंडिस तो छोटी सी उम्र में हृदय का ऑपरेशन होना,
जिंदगी दो पल की हो तो उसने सोचा क्यों ना फिर हर पल को खुल के जीना,
और लोगों ने कहा वाह क्या किस्मत पाई है
हर पल मे ये खुशी से मुस्कुराई है !
थोड़ी बड़ी ना हुई कुछ लोगों ने कहा उम्र जा रही इसकी करवा दो शादी,
टूटे सपने हुआ धोखा और उठाई तकलीफे
और हो गई बर्बादी,
दिखाई हिम्मत तोड़ा नाता और खोली अपनी छोटी सी कक्षा ,
पढ़ाया उन बच्चों को और उन नारियों को और सिखाया कैसे करते हैं स्वयं की सुरक्षा !
किया परिश्रम, मिली उपाधियां, कभी अखबार, कभी मैगजीन,
तो कभी रेडियो पर नाम,
और दिखाया और सिखाया कैसे होता है नारी का सम्मान ,
और लोगों ने कहा वाह क्या किस्मत पाई है,
इतनी कम उम्र में सफलता की ऊंचाइयां छूती जा रही है,
ऊपर वाला भी जब साथ देता है जब हम करते हैं प्रयास,
किस्मत भी उन्हीं का साथ देती है जो करते हैं खुद पे विश्वास,
किस्मत भी उन्हीं का साथ देती है, जो दिखाते हैं साहस,
आगे से ना कहना किसी काै किस्मत वाली,
बगीचा किस्मत से नहीं मेहनत से बनता है,
जब उसमें काम करते हैं माली ,
तो फिर कभी कहो तो कहना मैं बनी हुं तो अपने साहस से, अत्यधिक प्रयास से,
बहुत से त्याग से,
परिश्रम से, संघर्ष से और अटूट विश्वास से,
आप सभी के प्यार से, प्रोत्साहन से और बहुत सारे आशीर्वाद से!!
डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा
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