अब क्या कानून व्यवस्था बुलडोज़र के दम पर चलेगी

"अब क्या कानून व्यवस्था बुलडोज़र के दम पर चलेगी"

अब क्या कानून व्यवस्था बुलडोज़र के दम पर चलेगी
देश के अहम मुद्दों से भटक रही सरकार धर्म और जात-पात के मसलों में अटकी पड़ी है। माना कि देश की शांति हनन करने वालों को सबक सीखाना चाहिए, जो कानूनी तौर पर सीखाया जा सकता है। बुलडोज़र चलाना किसी मसले का हल नहीं, सरकार की इस नीति से विद्रोही उत्पन्न हो रहे है, जो पत्थरबाज़ी और आगजनी से और दंगे फैला रहे है।
बुलडोजर नाम सुनते अब बस एक ही बात जेहन में आती है, कहां चला? किस एरिया में चला, किसके घर पर चला? ऐसा इसलिए क्योंकि देश के कुछेक राज्यों में वहां की सरकार के आदेश पर आए दिन लोगों के घर बुलडोजर से तोड़ दिए जा रहे हैं, खासकर उत्तर प्रदेश में। वहां तो आलम ये है कि बुलडोजर को राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की कानून व्यवस्था का प्रतीक बना दिया गया है. सीएम योगी को ‘बुलडोजर बाबा’ कहा जाने लगा है। यूपी चुनाव में भी बुलडोजर के नाम पर खूब वोट मांगे गए और जब जीत हुई तो बुलडोजर पर चढ़कर जश्न भी मनाया गया।
सोचने वाली बात यह है की क्या अब कानून व्यवस्था बुलडोज़र के दम पर चलेगी? कोई ये क्यूँ नहीं सोचता कि यह दंगा फ़साद फैलाने वाले है कौन? कहाँ से भारत में घूस आते है। भारत की आबादी को देखें तो दिन दुगनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। क्या यह सब भारतीय ही है? बिलकुल नहीं भारत में अतरंगी प्रजा का मेला लगा हुआ है। वामपंथी, बांग्लादेशी, नेपाली और न जानें कहाँ-कहाँ के लोग देखने को मिल रहे है। आख़िर यह लोग कैसे हमारे देश में घूस जाते है? सीमाओं पर क्या कोई पहरा नहीं, कोई कानून नहीं, कोई रोकटोक नहीं। अब कैसे पता चलेगा कौनसे लोग कौनसी गतिविधियों में शामिल है। ऐसे लोगों का न राशन कार्ड वैलिड होता है, न आधार कार्ड सारे नकली डाॅक्यूमेंटस के आधार पर भारत में अपना अड्डा जमाकर बैठे होते है। आज देश में गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी अपना मुँह फ़ाडकर खड़ी है। बाहर से आए ऐसे ही लोगों की वजह से पोप्यूलेशन चरम छू रहा है। सरकार को सबसे पहले बाहर से आए ऐसे लोगों को सही जाँच पड़ताल करके देश से तड़ीपार करना चाहिए। देश की 30% आबादी कम हो जाएगी। क्यूँ ऐसे मुद्दों तक सरकार की सोच नहीं जाती।
काश, सरकार अगर आम आदमी की जिंदगी पर भारी पड़ रही मंहगाई और देश के भविष्य को गर्त की ओर ले जा रही बेरोजगारी पर बुलडोज़र फेरने की योग्यता और नीयत रखती तो जन-जन प्रशंसा कर रहा होता।
देश के युवाओं को शिक्षा और रोज़गार दो, उनको लक्ष्य की प्राप्त करने की सही दिशा दिखाओ तभी देश को जलाने वाली प्रवृत्तियों से मुख मोडेंगे। आजकल अपनी-अपनी पार्टी और कुर्सियां बचाने के लिए युवाओं को भड़काकर उनका उपयोग किया जा रहा है। जिनके पास कोई काम या रोजगार नहीं ऐसे लड़के चंद रुपये, या दारु की बोतल के बदले कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते है, जिसका परिणाम आजकल देश में देखा जा रहा है।
गैर मुल्क का एक भी आदमी देश में बिना वजह न आने पाए ऐसी कोई तो व्यवस्था होनी चाहिए, तभी देश की आबादी पर रोक लगेगी, तभी देश में शांति रहेगी और तभी देश उपर उठेगा। बाकी जिस देश की मिट्टी में जिसने जन्म नहीं लिया उन्हें देश को जलाने में कोई मलाल नहीं होगा। देश को वही प्यार कर सकता है जो इस देश में जन्मा है। बद से बदतर होते जा रहे हालातों पर समझदारी का बुलडोज़र चला कर देश को बचाया जाए तो बेहतर होगा।
भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर
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