हुनर को पहचाने!
हुनर को पहचाने!
![हुनर को पहचाने! हुनर को पहचाने!](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjoPFQ1VruHQ8L5RU3BvHvsd_emxmeGwTN2Y1Dg2WzY3UiEFg8iZzL0wb6bH04-oOD2ebAJ1fXtkXFpqiJr6nmHfnHvCixc3KQyT3x2miXqhEmM9NZZp2yH_VZf9Y49XwW6Ki_lzfWnN_fQNJAKleG5Uety1nrYomz56tqThHuEC-BfUEMiaUgy_GaB/w640-h360-rw/20220420_235926_0000.jpg)
हुनर को पहचानिए,
अपनी कला को जानिए,
मछली की योग्यता है तैरना,
उसे उड़ने के लिए ना मनाइए!
कौशल का आदर कीजिए,
उसे खुलकर बाहर आने दीजिए,
सभी को किसी ना किसी हुनर से बख्शा खुदा ने,
अपने जीवन का आनंद लीजिए!
शिक्षक को सिखाने दो,
चित्रकार को चित्र बनाने दो,
कुछ और करने के लिए मजबूर ना करो,
हर व्यक्ति को अपना हुनर जताने दो!
चंद पल की खुशी के लिए,
क्यों किसी की कलाबाजी को दफनाए,
अपनी निपुणता के बिना कोई कैसे जिए,
कोई अपनी प्रतिभा को कैसे छिपाए!
हुनर को पहचानिए,
अपनी कला को जानिए,
पंछी की योग्यता है उड़ना,
उसे तैरने के लिए ना मनाइए!!
विकासवादी लेखिका,
माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)
![](https://ssl.gstatic.com/ui/v1/icons/mail/images/cleardot.gif)
राजस्थान (रावतभाटा)