कुबूल है

 "कुबूल है"

कुबूल है
कुबूल है मुझे तेरी मन मर्ज़ियां कुबूल है चाहत की बौछार कर दूँ तेरी अदाओं पर निसार होते, या तमन्नाएं लूटा दूँ तुझे बेशुमार प्यार करते बस एक बार कह दे कि तू मेरा हुआ..

हर मौसम वार दूँ आसमान से चाँद का झूमर तोड़ कर दहलीज़ पर तेरी उतार दूँ, नखरों पर तेरे फ़िदा होते नखशिख तुझे संवार दूँ बस एक बार कह दे कि तू मेरा हुआ..

मेघ सभर बादलों से रंग काला चुनकर काजल सा भर दूँ तेरे कातिलाना नैंन में, करीब तो आ हल्की सी गुफ़्तगु करते तुझे हौले से अपनी मैं जान भी बना लूँ बस एक बार कह दे कि तू मेरा हुआ..

सुरों की सरगम सी आवाज़ पर मर मिटते तू कहे तो तन की मैं खाल तक उतार दूँ, लब पर जो ठहरा है नुक्ता ये हल्का सा चूमकर तू कहे तो उस पर मैं जान तक वार दूँ बस एक बार कह दे कि तू मेरा हुआ..

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर

Post a Comment

boltizindagi@gmail.com

Previous Post Next Post

#You may also like

#Advertisement