मां का असीम प्रेम
May 26, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr_Madhvi_Borse poem
मां का असीम प्रेम!
सबसे भोली , प्यारी हे मां,
है यह तो प्रेम की प्रतिमा,
इसकी गोदी में बसा है सारा जहां,
इससे प्यारा एहसास है कहां!
मिश्री है इसकी वाणी में,
दर्द है इसकी कहानी में,
अनगिनत इसकी कुर्बानी है,
इसके होने से ही, हम बच्चों की जिंदगी सुहानी है!
प्रार्थना में ले सबसे पहले बच्चों का नाम,
दिन रात करती है हमारे लिए काम,
इसके प्यार से उतरे हम बच्चों थकान,
बच्चे ही है इसकी जान और शान!
मां जब तक हे हमारे पास,
हमारा हर दिन है खास,
चलो पूरी करें इनकी भी आस,
अब नहीं और वनवास!
सबसे भोली सी, प्यारी सी मां,
है यह तो प्रेम की प्रतिमा,
इसकी गोदी में बसा है सारा जहां,
इससे प्यारा एहसास है कहां!!
डॉ. माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)
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