विश्व परिवार दिवस 15 मई 2020 पर विशेष
कविता प्रथम गुरु है माता पिता
जिस परिवार में माता-पिता हंसते हैं
उनके आंगन में भगवान बसते हैं
प्रथम गुरु माता-पिता होते हैं
अच्छी सीख परिवार में देते हैं
परिवार है फूलों की माला यह सिखाते हैं
इस माला के हम सब फूल यह बताते हैं
प्रेम सद्भाव से रहना सिखाते हैं
भारतीय संस्कृति की यही पहचान बताते हैं
परिवार वृक्ष हम शाखाएं हैं यह बताते हैं
यह सब को सुख सुविधा आराम दिलाते हैं
कहने को परिवार घर दीवार छत है परंतु
यह खुशियों का अनमोल खजाना बताते हैं
परिवार से बड़ा कोई धन नहीं
पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं
मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नहीं
भाई से बड़ा कोई भागीदार नहीं
बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक नहीं
परिवार से बड़ा सृष्टि में कोई लोक नहीं
माता पिता से बड़ा सृष्टि में कोई अपना नहीं
प्रथम गुरु हैं माता पिता से बड़ा कोई नहीं
लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com