यथार्थ मार्ग!
May 25, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr_Madhvi_Borse poem
यथार्थ मार्ग!
कुरीतियां और बुरी आदतों को बदलें,
इस जिंदगी की राह में थोड़ा और संभले,
जितनी हो गई गलतियां उसे सुधारे,
अब तो अच्छाई की सीढ़ियों पर चढ़ले !
अपने सपनों को मरने ना दे,
बुराइयां हमारे हृदय में भरने ना दे,
मजबूत बना ले खुद को ऐसा,
कोई गलत संग का रंग चढ़ने ना दे!
दुनिया में स्वार्थ का हे भरमार,
बात-बात पर अभिमान और अहंकार,
देवता नहीं तो इंसान बन के दिखा ए मानव,
कर दे घृणा और क्रोध का संहार!
अपनी अंतरात्मा को सुनें,
सही, गलत को चिंतन से चुने,
दीन,दया,नम्रता को जिंदगी में लाकर,
इंसानियत की राह पर सही सपने बुने!
कुरीतियां और बुरी आदतों को बदलें,
इस जिंदगी की राह में थोड़ा और संभले,
जितनी हो गई गलतियां उसे सुधारे,
अब तो अच्छाई की सीढ़ियों पर चढ़ले !!
डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)
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