कविता-डिजिटल युग का नया डॉक्टर
कविता-डिजिटल युग का नया डॉक्टर
चिंतक कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र |
हर काम में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भावना समाई है
मानवीय दिनचर्या चलाने में आलस्यता आई है
इसलिए मानव ने यह तरकीब अपनाई है
डिजिटल युग में ऐप से इलाज के जरिए
डिजिटल डॉक्टर की टेक्नोलॉजी आई है
सिर्फ एक टच से बीमारी का इलाज होगा
ऐसी ऐसी ऐप्स सॉफ्टवेयर भी आई है
परंपरागत संसाधनों की परंपरा भुलाई है
प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपार सफलता पाई है
इसलिए डिजिटल युग की परिकल्पना आई है
सूरजचांदअदालतों में कृत्रिम बुद्धिमता अपनाई है
मानव ने जो यह संकल्पता दर्शाई है
सारी प्रकृति को कृत्रिम करने की इच्छा जताई है
ऊपर वाले का अस्तित्व है यह बात भुलाई है
हे मानव!! उसी के बल पर यह बुद्धिमता पाई है
लेखक - कर विशेषज्ञ, स्तंभकार साहित्यकार, कानूनी लेखक, चिंतक कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र