घमासान

May 10, 2022 ・0 comments

 घमासान

जयश्री बिरमी,अहमदाबाद



क्यों हो रहीं हैं घुटन क्यों डर रहा हैं मन

कहीं तो हो रहा हैं इंसानियत पर जुल्म

घुट घुट के मार रहें हैं लोग या मर मर के जी रहे हैं लोग

मासूमों के हाल बुरे हैं सपने देखने वाले सो कहां पा रहें हैं

आग सैलाब की लपटों में जुलसे जा रहें हैं परिवार

ये कहर ए खुदा नहीं हैं ये खुदगर्जी सियासत दानों की

लड़ रहें हैं आका और सह रही हैं रियाया

रहम करों ऐ सियासत दारों कुफ्र से डरो

जिसे जुलसा रहें हो वह खुदा का रहम हैं हम पर

मिटा दो ये खौफ पैदा करों नर्मदिली के वाकए

 जायेगी मीट इंसानियत कुछ नागवार हादसों में कहीं

कर्म ए खुदा को मांगिए खौफ ए खुदा नहीं


 स्वरचित जयश्री बिरमी,अहमदाबाद

Post a Comment

boltizindagi@gmail.com

If you can't commemt, try using Chrome instead.