You can do anything
May 09, 2022 ・0 comments ・Topic: Bhawna_thaker lekh motivational
"You can do anything"
आजकल की युवा पीढ़ी को ज़िंदगी संघर्षों का पिटारा लगती है, प्रतियोगिता के ज़माने में खुद को कौनसे ट्रैक पर चलना है उसके लिए असमंजस में रहते अवसाद का भोग बन जाते है बच्चें। आजकल एक शब्द डिप्रेशन बहुत आम बन गया है। छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक में ये मानसिक रोग पनपता नज़र आ रहा है। हर क्षेत्र में कंपिटीशन बच्चों को आहत कर देती है। 95/98 प्रतिशत लाना हर किसीके बस की बात नहीं यह बात अभिभावकों को भी समझनी होगी, देखादेखी में बच्चों पर दबाव मत डालिए। इस दबाव के चलते पढ़ाई बोझ बनती जा रही है। पर समझदारी से ज़िंदगी को हल्के में लेते अपनी क्षमता के हिसाब से आगे बढ़ेंगे तो हर राह आसान लगेगी।"हालात बदलने के लिए दो हाथ, हौसला और एक दिमाग काफ़ी है" बस इसका सही इस्तेमाल सीख लो।
"नहीं है जग में बंदे कुछ भी नामुमकिन हाथों को हथियार बना, हिम्मत को पतवार, हौसलों के दम से कर ले जीवन नैया पार" self motivation को समझो, अपने हुनर को पहचानों और अपनी उर्जा को जगाओ। खराब वक्त को कोसो मत वक्त का काम है बदलना ज़िंदगी का काम है हमारे आगे चुनौतियों को रखना परिस्थितियों को हर हाल में संभालना हमारा काम है। हार को नेमत समझो, यह हार ही आपको और मेहनत करने का पर्याय देती है।
'माँझी' फ़िल्म में पहाड़ को खोदकर, तराशकर रास्ता बनाने वाला इंसान कहता है की कब तक ईश्वर के भरोसे बैठे रहेंगे, क्या पता ईश्वर हमारे भरोसे बैठा हो। कृष्ण सबके साथ है, बस भीतर के अर्जुन को जगाओ। कृष्ण राह दिखाता है पर गांडिव तो आपको ही उठाना होगा। निराशा को स्वीकार करने से बड़ी कोई हार नहीं। उपर उठने के लिए आत्मविश्वास जगाना होगा।
आत्मविश्वास की पूँजी से हालात बदलते है।
कर्म करते जाओ इंसान का दिमाग शक्ति और सामर्थ्य का भंडार है, उसका उपयोग सीख जाओ। जवानी के दस साल ज़िंदगी आपसे मांगती है, पूरे होशोहवास में कड़ी मेहनत से पसीना बहाकर हंसी खुशी वो दस साल दे दो, ज़िंदगी ताउम्र ब्याज समेत आपको सुख ही सुख परोसेगी।
पर जिसने जवानी के दस साल ज़िंदगी को देने से इन्कार किया, आलस और अमन-चमन में उड़ा दिए उसकी पूरी ज़िंदगी अंधेरों में कटेगी। उम्र के बीस से तीस साल के बीच की अवधि पढ़ाई और संघर्ष मांगती है, जी जान से अपना लक्ष्य तय करते जूट जाओ सफ़लता स्वागत करेगी।
समझो पढ़ लिखकर मेहनत से डिग्री का बीज बोओगे तभी तो सफ़लता का फल पाओगे, और बीज को पनपकर पेड़ बनने में और फल देने में दस साल की मेहनत तो लगती ही है इसलिए दस बस, फिर तो दो हाथ और एक दिमाग के दम पर आराम से बैठे-बैठे फल खाओ total preparation it will be win so युवाओं किसी भी परिस्थिति से डरो मत, अपना बेस्ट देने की कोशिश करो और ज़िंदगी की हर चुनौतियों को मात देते आगे बढ़ो। खुद पर विश्वास जीत की पहली शर्त है। remember You can do anything..
भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर
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