सवाल और जवाब
सवाल और जवाब
जितेन्द्र 'कबीर' |
सवाल!
बिगड़ती कानून व्यवस्था का हो
या फिर उन्मादी भीड़ हिंसा का,
विवादास्पद कानूनों का हो
या फिर विरोध प्रदर्शनों का,
चरमराती अर्थव्यवस्था का हो
या फिर बढ़ती बेरोजगारी का,
जवाब!
हमेशा एक ही होता है..
"अगर हम गलत होते तो जनता हमें
चुनाव जिताकर संसद न भेजती।"
वाह! क्या जवाब है।
बिल्कुल ऐसी ही दलील मछुआरा भी
अपने जाल में फंसी मछलियों
को दे सकता है।
सवाल!
दूसरे दलों के नेता तोड़ने का हो
या फिर सत्ता के लिए रिश्ते जोड़ने का,
महंगाई का उत्तरोत्तर बढ़ते जाने का हो
या फिर उसको ही देशहित में बताने का,
अपनी हठधर्मिता को सही बताने का हो
या फिर दूसरों की हर बात ग़लत ठहराने का,
जवाब!
हमेशा एक ही होता है...
"मैंने अपने लिए आज तक
कुछ नहीं किया, जो किया देश के लिए किया"
वाह! क्या जवाब है।
बिल्कुल ऐसी ही दलील एक तानाशाह
जनता के खून की आखिरी बूंद अपने हक में
इस्तेमाल किए जाने को दे सकता है।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314