देश का बुरा सोचने वालों का देश की प्रगति में कितना योगदान?

 (देश का बुरा सोचने वालों का देश की प्रगति में कितना योगदान?)

देश का बुरा सोचने वालों का देश की प्रगति में कितना योगदान?

बयानबाज़ी करने में हर इंसान माहिर है, आज देश के हालातों पर आत्म चिंतन कोई नहीं करता सबको सरकार पर दोषारोपण करने की आदत पड़ गई है। देश की प्रगति में खुद का योगदान कितना है उस पर अगर एक-एक व्यक्ति गौर करें तब परात में छेद का पता चले। भाषण देना, ऊँगली उठाना और दोष देना बहुत आसान है। 

श्रीलंका के बिगड़े हालातों को लेकर भारत में राजनीति शुरू हो चुकी है। ये तो होना ही था, मोदी जी की दूरंदेशी से जलने वाले विपक्षि ये मौका कैसे गंवाते। पड़ोसी देश के हालातों के बहाने विपक्ष मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तो पहले ही मोदी सरकार को घेरने के लिए भारत की तुलना श्रीलंका से कर चुके है। अब टीएमसी भी वही भाषा बोलने लगी है। असदुद्दीन ओवैसी ने बिना किसी का नाम लिए सरकार पर तंज कसा है। कुछ नेतागण अपने बोलने की हदें तक भूल जाते हैं, राजनीति में रहने के बावजूद ओहदे की मर्यादा नहीं समझ पाते, वो देश के प्रधानमंत्री के लिए निम्न स्तरीय भाषा का उपयोग करके जनता की नज़रों में पी एम को नीचा दिखाने की कोशिश करते है।

श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच हिंसक प्रदर्शन शुरू हो चुके है। हालात ये है कि राष्ट्रपति को अंडर ग्राउंड होना पड़ा और प्रदर्शकारियों ने उनके आवास पर कब्जा कर लिया। इस भयंकर संकट के बीच ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी की तरफ से बड़ा बयान सामने आया है। टीएमसी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ेगा जैसा वर्तमान में श्रीलंका में हो रहा है। क्यूँ भै, क्या सिर्फ़ अकेले प्रधान मंत्री जी का ही देश है, उनकी अकेले की जिम्मेदारी है? देश का हर मुद्दा हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है। कुछ राज्यों के सी एम की करतूतों पर भी नज़र ड़ालिए कुर्सी बचाने की जद्दोजहद में जब फ्री फ्री बाँटने की राजनीति पर उतर आते है तब क्यूँ देश का ख़याल नहीं आता? दिल्ली, पंजाब,राजस्थान ,छत्तीसगढ़, और बंगाल की सरकार यही तो कर ही रही है, ऐसे में देश कहाँ से उपर उठेगा। RBI ने एक डाटा दिया ही है, फ्री के चक्कर में इन सब राज्यों की क्या स्थिति हो रही है।

जब देश में ही देश का बुरा सोचने वाले और बुरा करने वाले मौजूद हो, तो दुश्मन की जरूरत नहीं पडती। कुछ तो शर्म करो, बुरा सोचने वालों खुद अपने गिरहबान में झांक कर देखो देश को उपर उठाने में खुद कितना योगदान देते हो। बस एक काम आता है, मोदी को कोसना और टांग खिंचकर गिराना। 

देश का दुर्भाग्य है कि मजबूत स्तंभ को गिराने में पूरा देश लगा है। जिस दिन मोदी जी को खो दोगे उस दिन ये देश अनाथ हो जाएगा। पहले पर्याय ढूँढिए मोदी जी का फिर दे दीजिए धक्का बीजेपी को, फिर पता चलेगा। किसी में दम नहीं जो इस देश को आसानी से चला पाएं। खुद का चार लोगों का परिवार संभाल नहीं पाते वो लोग भी मोदी को भांडने से नहीं चुकते। एक बार इतनी बड़ी आबादी को संभाल कर तो देखिए तब पता चलेगा। मोदी जी कोई जादुई चिराग का जीन नहीं की पल भर में सब ठीक कर देंगे। आज आर्थिक मंदी से पूरा विश्व जूझ रहा है। टांग खिंचने से बेहतर होगा देश की उन्नति में अपना योगदान दे।

राजनीतिक गिद्धों को श्रीलंका जैसे हालात भारत के हो ऐसी ही उम्मीद है, 

लोकतंत्र और इसके संविधान की शक्ति पर भरोसा नहीं। जनता का भरोसा तो आप में रहा नहीं। सावधान करने, सतर्क-सचेत करने, चिंतन-मंथन करने और श्राप देने में अंतर है कि नहीं? श्रीलंका की वर्तमान दयनीय स्थिति और अराजक भरे हालात की यहाँ भी घटित होने की कामना करने वाले तथ्य-तर्क और नैतिकता की बुनियाद पर पकड़े जाने पर इसे सावधान करना बता रहे है। श्रीलंका की सत्ता और राजनीति तथा आर्थिक हालात भारत की तरह है क्या?

गृहयुद्ध की आग में जल रहे श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भण्डार पूरी तरह से खत्म हो गया है। क्या भारत में ऐसी स्थिति है? भारत खुद दूसरे देशों की मदद करने के लिए सक्षम है। देश की सम्मानीय व्यक्ति के लिए अनाप -सनाप बोलने वालों एवं देश का बुरा सोचने वालों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर


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