"फ़िल्म को हीट बनाने के नया फार्मूला" /Film ko hit banane ke naya formula
"फ़िल्म को हीट बनाने के नया फार्मूला" /Film ko hit banane ke naya formula
फ़िल्मों के साथ हमारा समाज गहराई से जुड़ा होता है, लोगों की भावनाएं जुड़ी होती है। एक फिल्म में दिखाई गई बातें और विषय दर्शकों को प्रेरित और प्रभावित करती है। हर सीन और डायलोग उनके दिमाग पर मजबूत प्रभाव छोड़ जाते है। फिल्म जितनी अच्छाई फैला सकती है, उतनी ही बुराई भी फैला सकती है। फ़िल्म बनाने वाले प्रमोशन के नाम पर आजकल गलत रास्ता अपना रहे है। पहले फ़िल्मों को हीट बनाने के लिए प्रचार होता था, अब बवाल होती है। फ़िल्म रिलीज करने से पहले एक चिंगारी छोड़ देते है। जिसे मिडिया हवा देती है, लोग तिलमिला उठते है और विवादित मुद्दा कुछ दिनों तक गर्माया रहता है।
हमारे देश के लोग धर्म और संस्कृति को लेकर बड़े ही संवेदनशील है, हिन्दु देवी देवताओं का अपमान या उनसे जुड़ी किसी भी हरकत हरगिज़ बरदास्त नहीं करते। ऐसे में 2 जुलाई को अंडर द टेंट प्रोजेक्ट के तहत फिल्म मेकर लीना मणिमेकलई ने डॉक्यूमेंटरी फिल्म काली का पोस्टर रिलीज किया था। इस फिल्म में मां काली बनी एक महिला के एक हाथ में त्रिशूल था तो दूसरे हाथ में एलजीबीटी समुदाय का झंडा था। इसके अलावा उन्हें सिगरेट पीते हुए भी दिखाया गया। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीर सामने आने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और लीना मणिमेकलई को गिरफ्तार करने की मांग उठने लगी। उस पर तृणमूल की सदस्या महुआ मोइत्रा ने आग में घी ड़ालने का काम किया। काली माँ के बारे में विवादित बयान देकर लोगों की भावनाओं को ओर उकसाया।
शायद सारे निर्माता फ़िल्म को हीट पूरवार करने के लिए पब्लिसिटी स्टंट के लिए ऐसा कोई न कोई बवाल करने वाला मुद्दा फ़िल्म रिलीज़ होने से पहले समाज के सामने रख देते है। इनको लगता है कुतूहल वश लोग फ़िल्म जरूर देंखेंगे। पर जहाँ पर ये लोग ये नहीं जानते कि लोगों की धार्मिक भावना आहत होती है वहाँ पब्लिक राजा को रंक बनाने पर उतर आते है।
और बेशक जहाँ हम माँ काली के आगे श्रद्धा से सर झुकाते है, वहाँ उनकी तस्वीर के साथ ये हरकत बिलकुल असहनीय हो जाती है। आख़िर क्या पूरवार करना चाहते है फ़िल्म निर्माता इस तस्वीर से।
उस पर लीना ने सफाई देते हुए कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं दिखाया है। जो इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें ये फिल्म देखनी चाहिए।
निर्देशिका ने यह कहते हुए पलटवार किया है कि वह इसके लिए अपनी जान देने को भी तैयार है। मणिमेकलाई ने इस विवाद को लेकर एक लेख के जवाब में एक ट्विटर पोस्ट में तमिल भाषा में लिखा, ‘मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है, जब तक मैं जीवित हूँ मैं बेखौफ आवाज़ बनकर जीना चाहती हूँ अगर इसकी कीमत मेरी जिंदगी है, तो इसे भी दिया जा सकता है।
अभी माँ काली की सिगरेट पी रही तस्वीर पर बवाल थमा नहीं, की लीना ने भगवान शिव और पार्वती के गेट अप में दो किरदारों की सिगरेट पीती तस्वीर ड़ाल दी। लगता है अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का लोग कुछ ज़्यादा ही फ़ायदा उठा रहे है। भारत के संविधान में लिखा है अभिव्यक्ति की आजादी ये अभिव्यक्ति की आजादी वाला चेप्टर संविधान में जब तक लिखा रहेगा तब तक हिन्दू धर्म और संस्कृति और सभ्यता और देवी देवताओं का मज़ाक उड़ता रहेगा। अब अभिव्यक्ति की आजादी वाला चेप्टर संविधान से हटा देना चाहिए तभी कुछ बुद्धिजीवी लोग सुधरेंगे। भारत के संविधान ने कुछ ज्यादा ही आजादी दे दी है, उसी आजादी का लोग गलत फायदा उठा रहे है। देश में हर मुद्दों पर विवाद खड़ा करके अपनी मनमानी करना लोगों की आदत बन गई है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दायरा लाँघ रहे है। यहाँ तक कि इस आज़ादी ने लोगों की मानसिकता में गंदगी भर दी है।
चलो माना की शायद फ़िल्म कोई अच्छा संदेश देने के लिए बनाई गई है वो तो फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलेगा। फिर भी जिस तरह की तस्वीरे डालकर प्रमोशन किया गया वो गैरवाजीब है। समाज की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए विवादित बयान, तस्वीर या विडियो अपलोड करने पर देश में अशांति का माहौल खड़ा होता है और लोगों की भावनाएं आहत होती है वो अलग से।
भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर