Story-पाश्चाताप(pacchatap)
July 31, 2022 ・0 comments ・Topic: Jayshree_birmi story
पाश्चाताप
आज फिर दोनों लड़कों ने घर में अशांति फैला दी,खूब लड़े थे आपस में कि कुर्सी भी तोड़ दी।महेश बड़ा और समझदार था लेकिन साहिल बद दिमाग था।साहिल को जो चाहिएं वह उसे नहीं मिले तो कुछ भी कर लेने की आदत सी पड़ गई थी उसे।महेश की साइकिल आई उस दिन तो उसने कहर ही बरपाया था कि पूछो मत।पहले तो महेश को चलते हुए धक्का मार दिया और जब मीना ने उसे रोक दिया तो मीना से भी बदतमजी पर उतर आया।और मिना से बोला,“ आप उसे साइकिल दे रहें हो वही प्यारा हैं आपका मेरा तो घर ही नहीं हैं ये,जुल्म करते हैं आप मुझ पर।वही सगा बेटा हैं मैं तो मतराया
हूं आप के लिए।“ सन्न रह गई मीना कि ये उसी का बेटा था जो ईतने कड़वे वचन बोल रहा था।
शाम को जब उसके पति विशाल दफ्तर से आएं तो उसने शिकायत कर दी कि साहिल ने बड़ा तूफान मचाया था। तो इन्हो ने भी उसे जोर से डांट दिया,“दिनभर दफ्तर में बॉस की कीच कीच और घर आओ तो तुम सब शुरू हो जातें हो,महेश बड़ा हैं उसे समझना चाहिएं कि साहिल नाराज हो ऐसा काम न करें।“ और गुस्से से उठा और बाहर खैनी खाने चला गया।
अब जैसे घर सभ्यों के दो हिस्से हो गए थे मीना और महेश और विशाल और साहिल ।घर में रोज ही कुछ न कुछ होता था तो दोनों दल आमने सामने आ जातें थे।
कभी साइकिल का तो कभी कपड़ों का टंटा करता रहता था साहिल लेकिन महेश को अन्याय सहने की सलाह दे माता पिता दोनों अपना पीछा छुड़वाते रहते थे।लेकिन उसका परिणाम कैसा दर्दनाक होगा ये किसी ने भी सोचा नहीं था।दोनों का स्कूल भी एक ही था तो साहिल की वजह से महेश को बहुत कुछ सुनना पड़ता था।उसकी सारी शरारतों का हिसाब सभी शिक्षक उसी को बताते थे।
आजकल उसकी सोबत भी गलत लोगों से होने लगी थी।कोई सिगरेट पीता था तो कोई गुटका अपने घरवालों से छुपकर खा लेता था।सभी लड़कों में एक चोरी का भाव पैदा हो रहा था जो उनकी मानसिकता को खत्म कर गलत रास्ते पर ले जा रहा था।उपर से साहिल को उसके पापा का हर बात में साथ देना,उसे और बिगाड़े जा रहा था।अब उसे उसकी मां से नफरत होने लगी थी।वह अवहेलना करने लगा था और कभी कभी अति कटु बातें भी सुना देता था जैसे ,"आप तो सिर्फ महेश की मां हो मेरी नहीं,मेरे तो सिर्फ पापा हैं।"
अब बातें हद से बढ़ने लगी थी पापा का लाडला था तो महेश को हर बात में अपमानित करना उसकी आदत सी बन गई थी।मीना ने खाना परोस के महेश को दिया, जो गर्म रोटी के इंतजार में कुछ देर से बैठा था साहिल आया और महेश के लिए परोंसी हुई थाली ले खाने बैठ गया।महेश अपने आप को बहुत अपमानित महसूस कर रहा था और उठ कर बिना खाएं चल दिया।अगर कुछ बोलता तो फालतू में लड़ाई हो जाती और घर में तनाव का माहौल बन जाना था,इसलिए चुपचाप चल दिया था।अब तो ऐसे वाकए घर ने बार बार होने लगे।विशाल का साहिल को ठीक करने का तरीका,उसके पक्ष में खड़े होने का भी नाकामयाब सा लगने लगा था।
और एकदिन ऐसा आया जिसने मीना और विशाल को प्रायश्चित से भर दिया।सामने खून में लथपथ महेश पड़ा था और साहिल फिर भी उसको हजार बातें सुना रहा था।बात यूं थी कि महेश अपने कपड़े समेट धोने के लिए देने जा रहा था तो साहिल ने अपने कुछ कपड़े उसकी और फेंके और बोला ," मां के चमचे मेरे कपड़े भी धोने के लिए ले जा।” और महेश बोला," तू अपने आप रख दे, मैं नहीं ले जाऊंगा तू क्यों हर बात में मुझे परेशान करता रहता हैं!" बस यही बात और साहिल को गुस्सा आया और पास में पड़ा पित्तल का गुलदस्ता उसकी और फेंका जो उसके सिर में बहुत जोर से लगा और सिर फट गया और खून बेतरतीब बहने लगा।महेश दर्द के मारे जोर से चिल्लाया तो मीना रसोईघर से दौड़ पड़ी और देखा तो साहिल पर चिल्लाई," ये क्या कर दिया साहिल? शर्म कर अपने भाई को कोई इस तरह मरता हैं कोई?" जट से विशाल को फोन लगाया और डॉक्टर को भी बुला लिया।दोनों ही आ गए तो विशाल का आज पहली बार साहिल पर हाथ उठ गया था और अब वह विशाल को भी दोष दे रहा था कि मीना की बातों में आकर वह उससे अन्याय कर रहा हैं।डॉक्टर ने महेश को पट्टी बांध दवाई तो दे दी किंतु साथ एमआरआई करवाने की सलाह दी और चला गया।
आज साहिल की आतंकी प्रवृत्ति से महेश की जान पर बन आई थी ये मीना के साथ साथ विशाल को भी समझ में आ गया था।विशाल उसे अच्छा बनाए के चक्कर में उसे अन्यायी और क्रूर बना बैठा था।मीना और विशाल दोनों को समझ में आगया था कि परिवार में जुड़ाव का होना बहुत जरूरी होता हैं वरना परिवार टूट जाता हैं,बिखर जाता हैं।साहिल ने आज महेश की जान ले ली होती अगर मीना ने समय पर डॉक्टर को नहीं बुला लिया होता।
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद
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