रामसर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों में 5 और भारतीय आर्द्रभूमियों को मान्यता के साथ संख्या 54 हुई

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रामसर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों में 5 और भारतीय आर्द्रभूमियों को मान्यता के साथ संख्या 54 हुई 

आर्द्रभूमि क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है, जो मानव समाज के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करता है - एड किशन भावनानी

- सृष्टि में भारत जैसे प्राकृतिक संसाधन संपन्न खूबसूरत देश में बड़े बुजुर्गों की कहावतें पत्थर की लकीर साबित होने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती, बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि सपनें देखो तो ही साकार करने में प्रयासों की फौज खड़ी खड़ी कर दोगे!! सकारात्मक सोचोगे तो परिणाम उच्च गुणवत्ता पूर्वक पाओगे और सटीक रणनीतिक विज़न बनाओगे तो प्रयास करने में रुचि होगी और असफल होते होते जरूर सफ़ल होकर मंजिलों तक पहुंचकर नेतृत्व का बादशाही का परचम लहराओगे!! बिल्कुल सटीक!! साथियों कुछ वर्षों से सटीक रणनीतियों, रणनीतिक विजन पर काम हो रहा है जिसके परिणामों में अधिक सफलताएं कायम हो रही है हाल ही में रामसर अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्र भूमियों में 5 और भारतीय आर्द्र भूमि को मान्यता मिल गई है और भारत में अंतरराष्ट्रीय आर्द्रभूमियां बढ़कर 54 हो गई है जो भारत के लिए गर्व की बात है इसीलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इस सफलता और उपलब्धि पर चर्चा करेंगे। 

साथियों बात अगर हम रामसर आर्द्रभूमि को समझने की करें तो, पानी में स्थित मौसमी या स्थायी पारिस्थितिक तंत्र जिनमें दलदल , नदियाँ , झीलें , डेल्टा , बाढ़ के मैदान चावल के खेत , समुद्री क्षेत्र , तालाब और जलाशय आदि शामिल होते हैं आद्रभूमि कहलाते हैं। यह जल एवं स्थल के मध्य का संक्रमण क्षेत्र होता है  जैव विविधता की दृष्टि से मातृभूमि एक समृद्ध क्षेत्र होता है जिसका संरक्षण अति आवश्यक है। 

साथियों आर्द्रभूमि क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है जो मानव समाज के लिए कई महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करता है और मानव समाज के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है जैसे  सिंचाई के लिए पानी, मत्स्य पालन, पानी की आपूर्ति और जैव विविधता का रखरखाव आदि इसके साथ ही यह क्षेत्र पानी को अवशोषित करके बाढ़ के प्रभाव को भी नियंत्रित करता है एवं पानी के प्रवाह की गति को भी कम करता है। 

स्थलाकृतिक भिन्नता के आधार भारत में आद्रभूमि को 4 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है (1) हिमालयी आर्द्रभूमि (2) गंगा का मैदानी आर्द्रभूमि (3) रेगिस्तानी आर्द्रभूमि (4) तटीय आर्द्रभूमि। 

साथियों बात अगर हम रामसर आर्द्रभूमि संधि को समझने की करें तो, रामसर ईरान का एक शहर है जहां 2 फरवरी 1971 को आर्द्रभूमि के संरक्षण और उनके प्रबंधन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे इसी संधि या समझौते को रामसर समझौता के नाम से जाना जाता है  इस संधि का उद्देश्य संपूर्ण विश्व के सभी महत्त्वपूर्ण आर्द्रभूमि स्थलों की सुरक्षा करना है यह समझौता 21 दिसंबर 1975 से प्रभाव में आया। 

साथियों बात अगर हम नए नामित आर्द्र भूमि स्थल की करें तो, भारत ने अंतरराष्ट्रीय महत्व के पांच (5) नए आर्द्रभूमि स्थल नामित किए हैं, जिसमें तमिलनाडु में तीन आर्द्रभूमि स्थल (करीकिली पक्षी अभयारण्य, पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट और पिचवरम मैंग्रोव), मिजोरम में एक (पाला आर्द्रभूमि) और मध्य प्रदेश में एक आर्द्रभूमि स्थल (साख्य सागर) शामिल हैं। इस प्रकार, देश में रामसर स्थलों की कुल संख्या 49 से बढ़कर 54 हो गयी है। 

साथियों बात अगर हम किसी भी स्थल के रामसर स्थल घोषित होने के फायदों की करें तो, किसी भी स्थल के रामसर साइट घोषित होने के बहुत फायदे हैं क्योंकि अगर किसी भी क्षेत्र को रामसर साइट के रूप में मान्यता दी जाती है तो उस क्षेत्र का रखरखाव  करने एवं उसकी आधारभूत संरचना के विकास लिए प्रकृति संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ के द्वारा वित्त पोषण किया जाता है। 

साथियों बात अगर हम भारत की रामसर आर्द्रभूमि और उसके इतिहास की करें तो, भारत की रामसर आर्द्रभूमि 11,000 वर्ग किमी में फैली हुई है, देश में कुल आर्द्रभूमि क्षेत्र का लगभग 10 फ़ीसदी,18 राज्यों में हैं। किसी अन्य दक्षिण एशियाई देश में उतने स्थल नहीं हैं, हालांकि इसका भारत की भौगोलिक चौड़ाई और उष्णकटिबंधीय विविधता से बहुत कुछ लेना-देना है। यूनाइटेड किंगडम (175) और मैक्सिको (142), भारत से छोटे देशों में अधिकतम रामसर स्थल हैं जबकि बोलीविया कन्वेंशन संरक्षण के तहत 148,000 वर्ग किमी के साथ सबसे बड़े क्षेत्र में फैला है।रामसर साइट नामित होने के कारण अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय धन को आमंत्रित नहीं किया जाता है, लेकिन राज्यों और केंद्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भूमि के इन इलाकों को संरक्षित किया जाए और मानव निर्मित अतिक्रमण से बचाया जाए। इस लेबल को प्राप्त करने से स्थानीय पर्यटन क्षमता और इसकी अंतरराष्ट्रीय दृश्यता में भी मदद मिलती है। 1981 तक, भारत में 41 रामसर स्थल थे, हालांकि पिछले दशक में नई साइटों को नामित करने में -13 - सबसे तेज वृद्धि देखी गई है। 

साथियों रामसर साइट होने के लिए, हालांकि, इसे 1961 के रामसर कन्वेंशन द्वारा परिभाषित नौ मानदंडों में से कम से कम एक को पूरा करना होगा,जैसे कि कमजोर, लुप्तप्राय या गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों या संकटग्रस्त पारिस्थितिक समुदायों का समर्थन करना या, यदि यह नियमित रूप से 20,हज़ार या अधिक जलपक्षियों का समर्थन करता है। या, मछलियों के लिए भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, स्पॉनिंग ग्राउंड, नर्सरी और/या प्रवास पथ जिस पर मछली का स्टॉक निर्भर है। 

साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम की करें तो, आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीयआर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम शुरू किया था इसके तहत भारत में आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए। हालांकि राष्ट्रीय आद्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम भारत में 1987 से ही राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम पूरे देश मेंआर्द्रभूमि संरक्षण की गतिविधियों को समर्थन दे रहा है।इस कार्यक्रम के तहत आर्द्रभूमि क्षेत्रों को चिह्नित कर संरक्षण एवं प्रबंधन के लिये केंद्र सरकार, राज्यों एवं संघशासित प्रदेशों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराती है। 

साथियों इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश में आर्द्रभूमि के क्षय को रोकते हुए इसका बुद्धिमत्तापूर्ण प्रयोग सुनिश्चित कर स्थानीय समुदाय को लाभान्वित करने के साथ ही संपूर्ण रूप से जैव विविधता का संरक्षण करना है। कार्यक्रम के तहत निम्न पहल की गई हैं आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिये देश में नीति प्रारूप तैयार करना।चिह्नित की गई आर्द्रभूमि के संरक्षण के प्रयास को वित्तीय सहायता देना।लागू कार्यक्रमों का नियंत्रण। भारतीय आर्द्रभूमि पर अनुसंधान कार्यक्रम, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2010 को अधिसूचित किया है जो आर्द्रभूमियों को संरक्षण प्रदान करता है।इसके तहत आर्द्रभूमि को नुकसान पहुँचाने वाली गतिविधियों, जैसे- औद्योगीकरण, निर्माण, अशोधित कचरे की डंपिंग आदि को चिह्नित किया गया और आर्द्रभूमि क्षेत्रों में इन गतिविधियों वि का निषेध कर दिया गया।केंद्रीय आर्द्रभूमि नियामक प्राधिकरण का गठन नियमों के सही ढंग से क्रियान्वयन के लिये हुआ है। इसमें आवश्यक सरकारी प्रतिनिधियों के अतिरिक्त आर्द्रभूमि संबंधी विशेषज्ञ भी शामिल किये गए हैं। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि उज्जवल भारत भविष्य गाथा की एक कड़ी है।रामसर अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि में 5 और भारतीय आर्द्रभूमियों को मान्यता के साथ संख्या 54 हुई है। आर्द्रभूमि क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है जो मानव समाज के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करता है।

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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