कहानी-अधूरी जिंदगानी (भाग-2)

कहानी-अधूरी जिंदगानी (भाग-2)

        कहानी-अधूरी जिंदगानी 

 आप सभी तो रीना की उस जिंदगानी से वाकीफ़ ही होंगे जिसकी जिंदगानी के दु:खद पलों के किस्सों को आप सभी को मैंने अपनी पहली कहानी अधूरी जिंदगानी (भाग-1) में सुनाया था । जिसके अंतर्गत ये बताया था कि कैसे एक साधारण सी ग्रहणी अपने पति के द्वारा दिए जा रहे धोखे से आघात को पाई जो कितने टुकड़ों में टूट गई की खुद के ही टुकड़ों को समेट कर अपनी कलम में भर लिया और अपनी ही दर्द ए कहानी कविता , गजलों के माध्यम से लिखती चली गई और किस कदर उसे दुनिया एक नए नाम देकर बुलाने लगी लगी और वह नाम था *दर्द-ए शायरा रीना* । रीना की जिंदगी के किस्सों को अधूरा ही बताया था मैंने तब , आगे की कहानी सुनने के लिए आज पुनः रीना की जिंदगानी को लेकर में आप सभी के सामने आई हूं , रीना को जब यह पता चला कि उसका पति जिग्नेश नाम से गौरी का ही नंबर सेव कर कर उसे फिर से धोखा दे रहा है तो वह जैसे जीते जी फिर से मर गई थी न जाने क्यों वह बार-बार अपने मोबाइल पर ही नंबर बार-बार सेव कर गौरी का ये देखती की गौरी और उसके पति क्या व्हाट्सएप पर बार-बार एक ही समय पर ऑनलाइन आ रहे हैं यही प्रक्रिया दिन में 25 से 30 बार करने लगी और इस तरह वह धीरे-धीरे फिर डिप्रेशन में जाने लगी । बेटे ने समझाया भी की मां इससे कोई फायदा नहीं है हम इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते और क्यों आप चिंता करती हो मैं आपके साथ हूं ना मां उस समय अपने बड़े बेटे को गले लगा लेती उसके शब्द सुनकर । परंतु जिंदगी में पति तो पति ही होता है और वही पति जब फरेब कर जाए तो पत्नी टूट ही जाती है ना चाह कर भी रीना फिर से स्वीकार नहीं कर पा रही थी उसके पति के द्वारा दिए जा रहे फ़रेब को । रीना के पति कुछ दिन के लिए बाहर गए हुए थे शहर से बाहर तब रीना ने बहुत बार सोचा कि क्या करें , क्या नहीं करें वह अपना मन बहलाने के लिए फिर से रीना अपनी समाज सेवा में लग गई रीना की समाज सेवा मोबाइल के माध्यम से ही ऑनलाइन चलती थी अपने आपको दिनभर व्यस्त रखने की कोशिश करती ताकि उसका ध्यान उस ओर जा ही न सके । बेटे से कहती रीना बेटा आज इनका है , उम्र के एक पड़ाव में आकर इनको हमारी ही जरूरत पड़ेगी और तब हम अपने पैर पीछे हटाएंगे । रीना की लिखी कविताओं को जब मैं पढ़ती तो सोचती की मैं ही रीना कि क्यों मदद नहीं कर पा रही हूं ? पर मैं भी चुपचाप करके बैठ जाती और बस उसकी दर्द भरी जिंदगी की कविताओं को पढ़कर उसे वाहवाही का मरहम लगाती । वाकई रीना की जिंदगानी की तरह मेरी जिंदगानी होती तो , मैं तो ना जाने कब कि इस दुनिया से ही अलविदा कह दी होती । पर रीना के हौंसलों की दाद देती हूं , इतने अपमानित भरे शब्द सुनने के बाद , इतना कुछ सहा रीना ने और आज भी सह रही है , बात-बात में जहर भरे शब्द उसके पति की जुबान से निकले , एसे कड़वे भरे घूंट पी रही थी घुट-घुट के रीना पता नहीं किस मिट्टी की बनी थी हर सॉंचें में ढ़ालना वो सीख गई थी जैसे । जब मैं कभी रीना से सवाल करती की रीना क्यों तुम कुछ करती नहीं , रीना एक ही बात बोलती आज मेरे पति का है , आने वाला कल मेरा होगा । एक वक्त आएगा जब मेरे पति को भी अपने परिवार की जरूरत पड़ेगी तब वो तड़पेगा परिवार के लिए , परिवार से प्यार , सम्मान , अपनापन पाने के लिए । तब मैं और मेरे बेटे अपनी दुनिया में मस्त रहेंगे , जैसे आज ये मस्त है अपनी दुनिया में । सिर्फ यही जवाब और वक्त का इंतजार उसके आंखों के आंसूओं को मुझसे छुपा ना सका उसके एक-एक कीमती आंसूं उसके आंचल को भिगोते हुए , उसके चेहरे पर लगे मुस्कुराहट और खुद को देती झूठी दिलासा का नकाब तार-तार हुआ दिख रहा था । मेरी सखी दर्द-ए शायरा रीना को देखते हुए, गौरी और उसके पति के अवैध रिश्ते के लिए चीख-चीख उठती मेरे भी दिल से निकली बद्दुआएं आज ना कल तो इस अवैध रिश्ते की सीढ़ी की जलाकर तहस-नहस कर देगी , शेष रहेगी जब ये राख तब वहां से मेरी सखी रीना का समय चालू होगा । घृणा आती एसे लोगों पर जो मर्द के नाम पर सिर्फ एक धब्बा बन कर रह जाते । मर्द हैं तो इसका मतलब ये नहीं की अपनी अर्धांगिनी को छलनी कर दूसरे की अर्धांगिनी को भी अपना बनाएं । भग्वान ने विधी के विधान अनुसार आपके साथ एक जीवन संगनी दी जिसके चलते इस सृष्टि में शांति पूर्वक चलयमान हो । परंतु सिर्फ मेरी सखी रीना ही नहीं , रीना जैसी ही अनगिनत महिलाएं हैं जो इसी तरह के दर्द से जूंझ रही अकेले ही । रीना का नसीब इस बात में बहुत अच्छा है कि रीना के साथ उसके बेटे चट्टान की तरह उसकी हिम्मत बन खड़े थे । रीना अकेली न थी अपनी लड़ाई में । एक दिन फिर रीना ने अपने पति का मोबाइल चुपके से देखा , कि जिस औरत का नम्बर उसकी मेहबूबा गौरी का नम्बर जिग्नेश नाम से सेव किया था , उसके साथ फोन पर कितनी बार बात करता पर ये क्या जैसे ही उसने जिग्नेश उर्फ गौरी का नम्बर अपने पति के मोबाइल में टाईप किया तो वही नम्बर उसके पति के मोबाइल में सुनील नाम से सेव आ रहा था , रीना अपने बीस साल के बेटे को बताई ये बात की बेटा देखो ये हमें कितना बेवकूफ बना रहा है , बेटा बोला मां पापा हमें नहीं खुद को बेवकूफ बना रहे हैं वो ये नहीं देख पा रहे की उसके परिवार के सदस्य अब धीरे-धीरे उससे दूर हो रही है वो अपने परिवार के नजरों में गिर गये हैं ये बात पापा को इसलिए समझ नहीं आ रही क्योंकि उनके आंखों पर पट्टी बंधी है सिर्फ गौरी के नाम की और इसी गौरी ने हमारे पिता को हमसे दूर किया है । मां हमारे भगवान हमारे साथ है इन अय्याश गौरी और पापा के पाप का घड़ा जब भरेगा तो फूटेगा जरूर और ये होगा मां माता रानी में तेरा विश्वास है ना माता रानी तेरा ये विश्वास टूटने नहीं देगी । इनकी बत्तर से बत्तर हालत होगा । बीस साल के बेटे के मुंह से सब सुन तस्सली भी मिलती पर दु:ख कम नहीं हो पाता न चाहकर भी ध्यान उसी ओर चला जाता । बेटा बार-बार तसल्ली देकर कहता मां तू जो समाज सेवा कर रही आनलाईन वो बहुत बड़ी सेवा है लोगों कि दुआएं तुझे अपनी पहचान दिलवाई है । इन जैसे अय्याशों के पीछे अपना खून मत जला । समाज सेवा के कार्यों से जो तुने अपने बलबूते पर इतनी बड़ी दीवार खड़ी की है । वो ओर भी मजबूत कर भगवान हर किसी के नसीब में सेवा नहीं लिखता । तुझे चुना है पूरे भारत देश मे जरूरत मंदों की सेवा के लिए तो भगवान के किये हुए चुनाव में तू खरी उतरना मां । बेटे के शब्द रीना की हिम्मत बन जाते और रीना ने सोच लिया की अब वो इस ओर ध्यान नहीं देगी । कि उसका पति और अय्याश उसकी प्रेमिका गोरी क्या कर रहे हैं वो खुश रहेगी अपने बेटों के साथ समाज सेवा करते हुए अपनी ही दुनिया में । देखते हैं मेरी सखी रीना कब तक अपने इस फैसले पर अड़ी रहती है । पुनः रीना की आगे कि जिंदगी की दर्द ए दास्तां लिए आऊंगी , आप सभी को मिलाने एक साधारण सी महिला का सफर जो गृहणी से बनी अपनी जिंदगानी की सीख से दुनिया के लिए एक दर्द-ए शायरा रीना जिसके चेहरे की हसी के पीछे का दर्द बहुत ही गहरा है और इस गहरी चोट के दर्द पर लगा हसी का नकाब ..(क्रमशः)

About author 

Veena advani
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर , महाराष्ट्र

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url