जी. एस . टी . में राष्ट्रवाद का तड़का

 व्यंग्य

जी. एस . टी . में राष्ट्रवाद का तड़का

जुगाडू जी , बी. पी. एल . परिवार से हैं l इधर एक दिन चावल लेने गये तो पंसारी जी ने टोका चावल इस बार ऐसे नहीं मिलेगा l बीस रूपये का झँड़ा भी लेना होगा l जुगाडू जी का माथा ठनका l बोले , झँड़ा क्यों लेना होगा भाई ? हमें तो केवल चावल चाहिये l इस बार चावल ऐसे नहीं मिलेगा l सबको झँड़ा लेना होगा तभी चावल मिलेगा l जुगाडू जी पहले ही भूमिहीन मजदूर थे l बहुत गरीब आदमी थें l बहुत मुश्किल से पेट काटकर बच्चों को पढ़ाने के लिये स्लेट - पेंसिल जुगाड़ कर पाते थें l फिर , उन्होंने , अपनी दूसरी परेशानी बताई l बोले स्कूलों में भी बीस - बीस रूपये झँड़े के लिये माँगा जा रहा है l बच्चे पैसों के लिये सप्ताह भर से तगादा कर रहें हैं l मैनें कहा भाई देश की बात है , दे क्यों नहीं देते ? आखिर हमारा आजादी का अमृत महोत्सव रोज- रोज थोड़े मनाया जायेगा l और , आखिर , तुम भी तो राष्ट्रभक्त आदमी हो l दे- दो बीस - बीस रूपये l जुगाडू जी बमक गये l 

 हमलोग पहले ही चावल , दाल , दूध , दही और छाँछ पर जी. एस. टी. भर रहें हैं l अब झँड़े खरीदने के पैसे कहाँ से लायें ? इस सरकार का बस चले तो , मूतने और हगने पर भी टैक्स लगा दे l मैनें कहा ये तो है l अभी शहरों के सुलभ शौचालयों में केवल मूतने पर चार्ज लगता है , हो सकता है कि कल को सरकार का कोई सलाहकार ये सलाह दे दे कि मूतने और हगने पर भी जी. एस . टी. लगनी चाहिये l अच्छा टैक्स जमा हो जायेगा l अगर ऐसा हुआ तो हम तो हगना और मूतना दोनों बँद कर देंगें l  

हमारे अभिन्न मित्रों में से एक लंपट जी हमारी बातें बहुत देर से सुन रहें थें l वो , बोले श्रीमान ने ठीक ही कहा था l ना खायेंगें , और ना खाने देंगे l अरे ,भाई जब खाओगे ही नहीं तो हगोगे कहाँ से ? हाँ , एक बात हो सकती है कि कल को साँस लेने पर भी जी. एस . टी . ठोंक दी जाये l क्योंकि, आदमी खाये या ना खाये l साँस तो लेगा ही लेगा l ये जरूरी चीजों में से एक है l हमारी सरकार की नजर टैक्स जमा करने पर बहुत दूरगामी है l 

जुगाडू जी अपनी रौ में फिर उसी तरह बोले l अच्छा एक बात बताईये l हमारे समय में स्कूलों में या पार्टी दफ्तरों में तिरंगा कभी नहीं बेचा गया , था l फिर , इतना तिरंगे के पीछे हाय - तौबा क्यों मचाई जा रही है ? 

लंपट जी बोले बात ऐसी है भाई कि जी. एस. टी. और राष्ट्रवाद , और धर्म का काॅकटेल मिलाकर लोगों को पिलाया जा रहा है l युवाओं , को धार्मिक अफीम दी जा रही है l चावल , दाल , दूध , दही , छाँछ ,गैस सिलेंडर और उसकी मँहगी होती कीमतो पर कोई सवाल ना करे इसलिये हर घर तिरंगे की योजना चल रही है l कहीं कोई चर्चा ना हो l इसलिये , राष्ट्रवाद और धर्म को इन्होंने हाईजैक कर लिया है l बात हर घर तिरंगे की इसलिये हो रही है l ताकि आप रोजगार पर चर्चा ना करें l क्योंकि , सबको पता है कि झँड़े के खिलाफ कोई नहीं बोलेगा l और , हमारा हित सधता रहेगा l कमाल की बात है कि हमारा झँड़ा हमीं को बेचा जा रहा है l रूपया गिर रहा है l जी. डी. पी. खुदखुशी कर रही है l बेरोजगारी चरम पर है l रेपो रेट बढ़ रहा है l इसकी चिंता किसी को नहीं है l मैं लंपट जी के इस अलौकिक , राजनैतिक

और दिव्य ज्ञान कर सुनकर आश्चर्य चकित था l 

About author 

Mahesh kumar Keshari

परिचय - 
नाम - महेश कुमार केशरी
जन्म -6 -11 -1982 ( बलिया, उ. प्र.) 
शिक्षा - 1-विकास में श्रमिक में प्रमाण पत्र (सी. एल. डी. , इग्नू से) 
2- इतिहास में स्नातक ( इग्नू से) 
3- दर्शन शास्त्र में स्नातक ( विनोबा भावे वि. वि. से) 

अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन - सेतु आनलाईन पत्रिका (पिटसबर्ग अमेरिका से प्रकाशित) .

राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन- वागर्थ , पाखी , कथाक्रम, कथाबिंब , विभोम - स्वर , परिंदे , गाँव के लोग , हिमप्रस्थ , किस्सा , पुरवाई, अभिदेशक, , हस्ताक्षर , मुक्तांचल , शब्दिता , संकल्य , मुद्राराक्षस उवाच , पुष्पगंधा , 
अंतिम जन , प्राची , हरिगंधा, नेपथ्य, एक नई सुबह, एक और अंतरीप , दुनिया इन दिनों , रचना उत्सव, स्पर्श , सोच - विचार, व्यंग्य - यात्रा, समय-सुरभि- अनंत, ककसार, अभिनव प्रयास, सुखनवर , समकालीन स्पंदन, साहित्य समीर दस्तक, , विश्वगाथा, स्पंदन, अनिश, साहित्य सुषमा, प्रणाम- पर्यटन , हॉटलाइन, चाणक्य वार्ता, दलित दस्तक , सुगंध, 
नवनिकष, कविकुंभ, वीणा, यथावत , हिंदुस्तानी जबान, आलोकपर्व , साहित्य सरस्वती, युद्धरत आम आदमी , सरस्वती सुमन, संगिनी,समकालीन त्रिवेणी, मधुराक्षर, प्रेरणा अंशु , तेजस, दि - अंडरलाईन,शुभ तारिक , मुस्कान एक एहसास, सुबह की धूप, आत्मदृष्टि , हाशिये की आवाज, परिवर्तन , युवा सृजन, अक्षर वार्ता , सहचर , युवा -दृष्टि , संपर्क भाषा भारती , दृष्टिपात, नव साहित्य त्रिवेणी , नवकिरण , अरण्य वाणी, अमर उजाला, पंजाब केसरी , प्रभात खबर , राँची एक्स्प्रेस , दैनिक सवेरा , लोकमत समाचार , दैनिक जनवाणी , सच बेधड़क , डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट , नेशनल एक्स्प्रेस, इंदौर समाचार , युग जागरण, शार्प- रिपोर्टर, प्रखर गूंज साहित्यनामा, कमेरी दुनिया, आश्वसत के अलावे अन्य पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . 

 चयन - (1 )प्रतिलिपि कथा - प्रतियोगिता 2020 में टाॅप 10 में कहानी " गिरफ्त " का चयन  

(2 ) पच्छिम दिशा का लंबा इंतजार ( कविता संकलन )
जब जँगल नहीं बचेंगे ( कविता संकलन ), मुआवजा ( कहानी संकलन ) 

(3)संपादन - प्रभुदयाल बंजारे के कविता संकलन " उनका जुर्म " का संपादन..

(4)-( www.boltizindgi.com) वेबसाइट पर कविताओं का प्रकाशन

(5) शब्द संयोजन पत्रिका में कविता " पिता के हाथ की रेखाएँ "
 का हिंदी से नेपाली भाषा में अनुवाद सुमी लोहानी जी द्वारा और " शब्द संयोजन " पत्रिका में प्रकाशन आसार-2021 अंक में.

(6) चयन - साझा काव्य संकलन " इक्कीस अलबेले कवियों की कविताएँ " में इक्कीस कविताएँ चयनित

(7) श्री सुधीर शर्मा जी द्वारा संपादित " हम बीस " लघुकथाओं के साझा लघुकथा संकलन में तीन लघुकथाएँ प्रकाशित 

(8) सृजनलोक प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित और संतोष श्रेयंस द्वारा संपादित साझा कविता संकलन " मेरे पिता" में कविता प्रकाशित 

(9) डेली मिलाप समाचार पत्र ( हैदराबाद से प्रकाशित) दीपावली प्रतियोगिता -2021 में " आओ मिलकर दीप जलायें " कविता पुरस्कृत

(10) शहर परिक्रमा - पत्रिका फरवरी 2022- लघुकथा प्रतियोगिता में लघुकथा - " रावण" को प्रथम पुरस्कार

(11) कथारंग - वार्षिकी -2022-23 में कहानी " अंतिम बार " 
प्रकाशित

(12)व्यंग्य वार्षिकी -2022 में व्यंग्य प्रकाशित 

(13) कुछ लघुकथाओं और व्यंग्य का पंजाबी , उड़िया भाषा में अनुवाद और प्रकाशन 

(14)17-07-2022 - वर्ल्ड पंजाबी टाइम्स चैनल द्वारा लिया गया साक्षात्कार 

(15) पुरस्कार - सम्मान - नव साहित्य त्रिवेणी के द्वारा - अंर्तराष्ट्रीय हिंदी दिवस सम्मान -2021

संप्रति - स्वतंत्र लेखन एवं व्यवसाय
संपर्क- श्री बालाजी स्पोर्ट्स सेंटर, मेघदूत मार्केट फुसरो, बोकारो झारखंड -829144

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