आईएनएस विक्रांत( INS-VIKRANT)

आईएनएस विक्रांत( INS-VIKRANT)

आईएनएस विक्रांत( INS-VIKRANT)

मेक इन इंडिया - विमान वाहक युद्धपोत बनाने में भारत की आत्मनिर्भरता की क्षमता का प्रदर्शन
भारत विमान वाहक युद्धपोत बना सकने वाले देशों के क्लब में शामिल - यह भारत के आत्मविश्वास और कौशल का प्रतीक - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया - सृष्टि में युद्ध कोई नया शब्द नहीं है। हजारों वर्ष पूर्व से ही युद्ध होते आ रहे हैं जो अधिकांशतः पारंपरिक युद्ध, अंतरराज्यीय युद्ध हुआ करते थे, जिसमें तीर कमान, डंडे, बाण कुछ छोटे-मोटे अस्त्रों का प्रयोग किया जाता था और उनके वाहक घोड़े, हाथी सहित कुछ पशु हुआ करते थे। भारत में हम रामायण महाभारत इत्यादि ग्रन्थों, पुराणों में बचपन से सुनते आ रहे हैं। परंतु वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में असत्रों शस्त्रों वाहनों का स्थान पूरी तरह प्रौद्योगिकी ने ले लिया है अब युद्ध के लिए भूगोल बाधा नहीं रह गया है जो हमने 9/11 की घटना के रूप में देखा हिंसा अब वैश्विक रूप ले चुकी है। वर्तमान में हम यूक्रेन-रूस, ताइवान-चीन की स्थिति और उससे उत्पन्न तीसरे विश्वयुद्ध के खतरे की बातें हो रही है, इसीलिए आज हर देश अपनी सेना को प्रौद्योगिकी से मजबूत और आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल पड़ा है, चूंकि आज किसी भी देश को रणनीतिक रूप से युद्ध में घेरने के लिए समुद्री क्षेत्र महत्वपूर्ण होता जा रहा है जिसका उदहारण हम चीन, अमेरिका और रूस की ताकत मीडिया में देख रहे हैं। इसी कड़ी में भारत ने भी अपने आत्मनिर्भर भारत की कड़ी में रक्षा क्षेत्र में कदम बढ़ाते हुए आई एन एस विक्रांत स्वदेशी भारतीय विमान वाहक युद्धपोत को भारतीय नौसेना में शामिल कर दिया है अब भारत स्वदेशी युद्धपोत बना सकने वाले क्लब में शामिल हो गया है जो भारत के आत्मविश्वास और कौशल का प्रतीक है।इसलिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के आधार पर आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आई एन एस विक्रांत पर चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम आईएनएस विक्रांत जिसे 2 सितंबर 2022 को माननीय पीएम के हस्ते भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है की करें तो, पीआईबी के अनुसार भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत चालू होना भारत की आजादी के 75 साल के अमृतकाल के दौरान देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और यह देशके आत्मविश्वास और कौशलता प्रतीक भी है। यह स्वदेशी विमानवाहक पोत देश के तकनीकी कौशल एवंइंजीनियरिंग कौशल का प्रमाण है।विमानवाहक युद्धपोत बनाने में भारत की आत्मनिर्भरता की सक्षमता का प्रदर्शन, देश के रक्षा स्वदेशीकरण कार्यक्रमों और 'मेक इन इंडिया' अभियान को सुदृढ़ करेगा। आईएनएस विक्रांत के चालू होने के साथ, हमारा देश विश्व के उन विशिष्ट देशों के क्लब में प्रवेश कर गया है जो स्वयं अपने लिए विमान वाहक बना सकते हैं और इस उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का भागीदार बनना सेल के लिए बेहद खुशी की बात है।
साथियों बात अगर हम पड़ोसी और विस्तारवादी मुल्क की दादागिरी पर लगाम लगाने की करें तो, सामरिक अनिश्‍चिता के इस युग में खतरों का पूर्वानुमान लगाना उत्‍तरोत्‍तर कठिन होता जा रहा है। अक्‍सर हमें कुछ ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों का भी सामना करना पड़ता है जहां राजनैतिक उद्देश्‍यों के साथ आपराधिक मंशा और कृत्‍यों का भी समावेश होता है।हमारे कुछ शत्रुओं की विशेषता उनका अदृश्‍य, अनाकार विविध, वैश्‍विक, घातक और कट्टर स्‍वरूप है। इन खतरों का मुकाबला करने के लिए भारत को अपनी संपूर्ण राजनयिक, आर्थिक एवं सैन्‍य ताकत का उपयोग करना होगा। समुद्र में विस्तार वादी देश की दादागिरी पर लगाम लगाने और पड़ोसी मुल्कों के शैतानी मंसूबों को ध्वस्त करने के लिए भारतीय नौसेना ने समुद्र में तैरता एक दमदार और खतरनाकएयरफील्ड तैयार कर किया है। भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनसी विक्रांत अब शामिल हो चुका है, इस एयरक्राफ्ट से विस्तारवादी देश को सबसे ज्यादा तकलीफ तो इस बात की है कि उसका 70 से 80 फीसदी एनर्जी ट्रेड भारतीय समुद्री सीमा से होकर गुजरता है, ऐसे में भारत जब चाहे उसे बाधित कर सकता है। वहीं पड़ोसी मुल्क से निपटने के लिए अरब सागर में भारतीय नौसेना का कैरियर बैटल ग्रुप तो तैनात है, लेकिन बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के इलाके पर अपनी ताकत को बरकरार रखने के लिए जल्द ही एक औरकरियर बैटल ग्रुप तैनात होगा।
साथियों बात अगर हम आईएनएस विक्रांत की विराटता और क्षमता की करें तो, इस एयरक्राफ्ट कैरियर की विमानों को ले जाने की क्षमता और इसमें लगे हथियार इसे दुनिया के कुछ खतरनाक पोतों में शामिल करते हैं। नौसेना के मुताबिक, यह युद्धपोत एक बार में 30 एयरक्राफ्ट ले जा सकता है। इनमें मिग-29के फाइटर जेट्स के साथ-साथ कामोव-31 अर्ली वॉर्निंग हेलिकॉप्टर्स, एमएच -60 आर सीहॉक मल्टीरोलहेलिकॉप्टर और एचएएल द्वारा निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं। नौसेना के लिए भारत में निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट - एलसीए तेजस भी इस एयरक्राफ्ट कैरियर सेआसानी से उड़ान भर सकते हैं।मजेदार बात यह है कि भारत में बने पहले एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम आईएनएस विक्रांत रखा गया है। जबकि इससे पहले ब्रिटेन से खरीदे गए भारतके पहले विमानवाहक पोत- एचएमएस हरक्यूलीस का नाम भी आईएनएस विक्रांत ही रखा गया था। बताया जाता है कि इसके पीछे भारत का पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के प्रति प्यार और गौरव की भावना है। 1997 में सेवा से बाहर किए जाने से पहले आईएनएस विक्रांत ने पाकिस्तान के खिलाफ अलग-अलग मौकों पर भारतीय नौसेना को मजबूत रखने में अहम भूमिका निभाई थी।
साथियों बात अगर हम आईएनएस विक्रांत से भारत की प्रतिष्ठा की करें तो, इसके निर्माण से भारत दुनियाके उन छह चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जो 40 हजार टन का एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की क्षमता रखते हैं, बाकी पांच देश हैं अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और इंग्लैंड. नौसेना के मुताबिक, आईएनएस विक्रांत के भारत के जंगी बेड़े में शामिल होने से इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने में मदद मिलेगी। हालांकि सबसे पहली और गौर करने वाली बात यह है कि भारत में बने आईएनएस विक्रांत में इस्तेमाल सभी चीजें स्वदेशी नहीं हैं। यानी कुछ कलपुर्जे विदेशों से भी मंगाए गए हैं। हालांकि, नौसेना के मुताबिक, पूरे प्रोजेक्ट का 76 फीसदी हिस्सा देश में मौजूद संसाधनों से ही बना हैं। भारतीय नौसेना को अब अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर 'आईएनएस विक्रांत' मिल गया जो माननीय पीएम ने खुद इसको सेवा के लिए नौसेना को सौंपा हैं। विक्रांत भारत में बना सबसे बड़ा युद्धपोत है। नौसेना में इस कैरियर के शामिल होने के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में भी शामिल हो जाएगा, जिनके पास खुद विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आईएनएस विक्रांत, मेक इन इंडिया- विमान वाहक युद्धपोत बनाने में भारत की आत्मनिर्भरता की क्षमता का प्रदर्शन हुआ।भारत विमानवाहक युद्धपोत बना सकने वाले देशोंके क्लब में शामिल हुआ यह भारत के आत्मविश्वास और कौशल का प्रतीक है।

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Kishan sanmukhdas bhavnani
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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