रेवड़ी आपके लिये नहीं है !

 व्यंग्य

रेवड़ी आपके लिये नहीं है !

साहेब से जब से पंजाब छिना है l कुछ ज्यादा ही चिंतित नजर आने लगे हैं l पिछले वैश्विक आपदा के बाद पिछले डेढ़ साल में ही भारत में अरबपतियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ी है l दिल्ली की सरकार मुफ्त शिक्षा , मुफ्त पानी , मुफ्त बिजली दे रही है l और यही घोषणा वो गुजरात में भी कर रही है l तो साहेब के पेट में दर्द होने लगा है l साहेब , उज्जवला से लेकर अन्य योजनायें चलातें हैं l पहले स्वेच्छा से सब्सिडी छोड़ने को कहते हैं l 

फिर , बलात् सब्सिडी छुड़वा कर इतना मँहगा कर देते हैं , कि आदमी ईंधन के लिये जुगाड़ लगाने की बात पर चकराता रह जाता है l 

 ये मुफ्त मिलने वाली चीजें दरअसल , मुफ्त की रेवड़ियाँ नहीं हैं l साहेब को गरीब फूटे आँख नहीं सुहाते l तभी तो कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को वो भूलते जा रहें हैं l पहले कारपोरेट टैक्स 1.6 लाख करोड़ और फिर वेल्थ टैक्स लगभग 3 लाख करोड़ साहेब ने कारपोरेटों का माफ कर दिया l अब कौन किसको मुफ्त की रेवड़ियाँ बाँट रहा है l साफ समझा जा सकता है l ये मुफ्त की रेवड़ियाँ केवल कारपोरेटों के लिये हैं l 

साहेब पहले आम आदमी की थाली से चावल , दाल , तेल , मसाले , छाँछ और दूध , दही , लस्सी पर 5 फीसदी की जी. एस. टी. ठोंक देते हैं l बच्चों की कार्बन, काॅपी, पेंसिल पर 28 प्रतिशत की जी. एस. टी . ठोंक देते हैं l एक तरफ , कारपोरेट टैक्स माफ किया जा रहा है l जो कि लगभग 1.6 लाख करोड़ है l दूसरी तरफ वेल्थ टैक्स जोकि लगभग 3 लाख करोड़ है l माफ किया जा रहा है l और , इधर , आपके बैंकों में रखे पैसों पर ब्याज दर कम हो रही है l लोन महँगा हो रहा है l बैंकों से मोटा कर्जा लेकर बड़े -बड़े आसामी भाग रहें हैं l

इसको मुफ्त की रेवड़ी नहीं कहेंगें तो किसको कहेंगे ? 

वहीं दिल्ली सरकार लोगों को मुफ्त बिजली , मुफ्त पानी , मुफ्त स्वास्थ्य प्रदान कर रही है l दिल्ली के सफल माॅडल को देखकर दूसरे देशों की सरकारें दिल्ली के शिक्षा मंत्री को अपने यहाँ बुलाकर उस माॅडल पर चर्चा करना चाहतीं हैं l लेकिन , साहेब के चापलूस उन्हें जाने नहीं देते l दिल्ली के शिक्षा माॅडल की चर्चा दी न्यूयार्क टाइम्स में छपती है l साहेब कुढ़ जाते हैं l क्योंकि साहेब के कारपोरेटों के प्राईवेट स्कूलों पर तलवार लटक जायेगी l 

दरअसल , जो किसान और मजदूर अन्न उपजाते हैं l और हमारा देश जो , खाधान्नों के मामले में आज आत्मनिर्भर है l उनको , उनके द्वारा ही उपजाया गया अनाज मुफ्त में मिलना चाहिये l आज भी हमारे देश में आधे से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं l उनको मिड- डे मील मुफ्त मिलना चाहिये l क्योंकि , ये उनके द्वारा उगाया गया अनाज ही उनके बच्चों को दिया जा रहा है lस्कूली शिक्षा , मुफ्त में मिलनी चाहिये l लोग कुपोषित होकर ना मरें इसलिये मुफ्त आनाज मिलना चाहिये l साफ और मुफ्त पानी सबको मिलना चाहिये l सबको अँधेरे से आजादी , और रौशनी में पढने - लिखने का हक होना चाहिये l ये आदमी की मूलभूत जरूरतें हैं l ये लोगों की मूलभूत आवश्यकतायें हैं l मुफ्त की रेवड़ियाँ नहीं हैं l वैसे साहेब , जब बच्चों की किताबों , पेंसिल , काॅपियों पर 28 फीसदी टैक्स डालते हैं l दूध , दही , छाँछ और लस्सी को आम आदमी के पहुँच से बाहर का रास्ता दिखा देते हैं l तो वो मुफ्त की रेवड़ियाँ क्या खाक बाटेंगे ? उनकी रेवड़ियाँ कारपोरेटों के लिये है l आम आदमी के लिये नहीं हैं l साहेब का वश चले तो वो साँस लेने पर भी टैक्स लगा दें l 

About author 

Mahesh kumar Keshari

परिचय - 
नाम - महेश कुमार केशरी
जन्म -6 -11 -1982 ( बलिया, उ. प्र.) 
शिक्षा - 1-विकास में श्रमिक में प्रमाण पत्र (सी. एल. डी. , इग्नू से) 
2- इतिहास में स्नातक ( इग्नू से) 
3- दर्शन शास्त्र में स्नातक ( विनोबा भावे वि. वि. से) 

अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन - सेतु आनलाईन पत्रिका (पिटसबर्ग अमेरिका से प्रकाशित) .

राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन- वागर्थ , पाखी , कथाक्रम, कथाबिंब , विभोम - स्वर , परिंदे , गाँव के लोग , हिमप्रस्थ , किस्सा , पुरवाई, अभिदेशक, , हस्ताक्षर , मुक्तांचल , शब्दिता , संकल्य , मुद्राराक्षस उवाच , पुष्पगंधा , 
अंतिम जन , प्राची , हरिगंधा, नेपथ्य, एक नई सुबह, एक और अंतरीप , दुनिया इन दिनों , रचना उत्सव, स्पर्श , सोच - विचार, व्यंग्य - यात्रा, समय-सुरभि- अनंत, ककसार, अभिनव प्रयास, सुखनवर , समकालीन स्पंदन, साहित्य समीर दस्तक, , विश्वगाथा, स्पंदन, अनिश, साहित्य सुषमा, प्रणाम- पर्यटन , हॉटलाइन, चाणक्य वार्ता, दलित दस्तक , सुगंध, 
नवनिकष, कविकुंभ, वीणा, यथावत , हिंदुस्तानी जबान, आलोकपर्व , साहित्य सरस्वती, युद्धरत आम आदमी , सरस्वती सुमन, संगिनी,समकालीन त्रिवेणी, मधुराक्षर, प्रेरणा अंशु , तेजस, दि - अंडरलाईन,शुभ तारिक , मुस्कान एक एहसास, सुबह की धूप, आत्मदृष्टि , हाशिये की आवाज, परिवर्तन , युवा सृजन, अक्षर वार्ता , सहचर , युवा -दृष्टि , संपर्क भाषा भारती , दृष्टिपात, नव साहित्य त्रिवेणी , नवकिरण , अरण्य वाणी, अमर उजाला, पंजाब केसरी , प्रभात खबर , राँची एक्स्प्रेस , दैनिक सवेरा , लोकमत समाचार , दैनिक जनवाणी , सच बेधड़क , डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट , नेशनल एक्स्प्रेस, इंदौर समाचार , युग जागरण, शार्प- रिपोर्टर, प्रखर गूंज साहित्यनामा, कमेरी दुनिया, आश्वसत के अलावे अन्य पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . 

 चयन - (1 )प्रतिलिपि कथा - प्रतियोगिता 2020 में टाॅप 10 में कहानी " गिरफ्त " का चयन  

(2 ) पच्छिम दिशा का लंबा इंतजार ( कविता संकलन )
जब जँगल नहीं बचेंगे ( कविता संकलन ), मुआवजा ( कहानी संकलन ) 

(3)संपादन - प्रभुदयाल बंजारे के कविता संकलन " उनका जुर्म " का संपादन..

(4)-( www.boltizindgi.com) वेबसाइट पर कविताओं का प्रकाशन

(5) शब्द संयोजन पत्रिका में कविता " पिता के हाथ की रेखाएँ "
 का हिंदी से नेपाली भाषा में अनुवाद सुमी लोहानी जी द्वारा और " शब्द संयोजन " पत्रिका में प्रकाशन आसार-2021 अंक में.

(6) चयन - साझा काव्य संकलन " इक्कीस अलबेले कवियों की कविताएँ " में इक्कीस कविताएँ चयनित

(7) श्री सुधीर शर्मा जी द्वारा संपादित " हम बीस " लघुकथाओं के साझा लघुकथा संकलन में तीन लघुकथाएँ प्रकाशित 

(8) सृजनलोक प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित और संतोष श्रेयंस द्वारा संपादित साझा कविता संकलन " मेरे पिता" में कविता प्रकाशित 

(9) डेली मिलाप समाचार पत्र ( हैदराबाद से प्रकाशित) दीपावली प्रतियोगिता -2021 में " आओ मिलकर दीप जलायें " कविता पुरस्कृत

(10) शहर परिक्रमा - पत्रिका फरवरी 2022- लघुकथा प्रतियोगिता में लघुकथा - " रावण" को प्रथम पुरस्कार

(11) कथारंग - वार्षिकी -2022-23 में कहानी " अंतिम बार " 
प्रकाशित

(12)व्यंग्य वार्षिकी -2022 में व्यंग्य प्रकाशित 

(13) कुछ लघुकथाओं और व्यंग्य का पंजाबी , उड़िया भाषा में अनुवाद और प्रकाशन 

(14)17-07-2022 - वर्ल्ड पंजाबी टाइम्स चैनल द्वारा लिया गया साक्षात्कार 

(15) पुरस्कार - सम्मान - नव साहित्य त्रिवेणी के द्वारा - अंर्तराष्ट्रीय हिंदी दिवस सम्मान -2021

संप्रति - स्वतंत्र लेखन एवं व्यवसाय
संपर्क- श्री बालाजी स्पोर्ट्स सेंटर, मेघदूत मार्केट फुसरो, बोकारो झारखंड -829144

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