मिशन लाइफ (Mission Life)

मिशन लाइफ (Mission Life)

आओ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अपने सामर्थ्य के हिसाब से योगदान दें
सुरक्षित पर्यावरण के लिए एक व्यक्ति, परिवार और समुदाय के रूप में जीवनशैली में बदलाव कर पर्यावरण में योगदान करना समय की मांग - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों के कुछ वर्षों में बढ़ते प्रकोप को हरमनीषी जीव महसूस कर रहे हैं क्योंकि दशकों पूर्व की यदि हम याद करें तो ऐसी प्रकृति में दुर्गति हमने न तो सुनी न ही देखी परंतु वर्तमान में दशक तो क्या महीनों दिनों में हमें प्राकृतिक विभित्सक परिणामों के बढ़ते स्तर को अनेक टीवी चैनलों पर करीब हर दिन भारत या किसी ना किसी देश में देखते रहते हैं और हम कहते हैं कि कुदरत का कहर है, हम क्या कर सकते हैं? का विचार लाकर सोचते हैं कि अंतरराष्ट्रीय संस्थानों सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इसके उपायों पर मंथन कर कार्यवाही कर रहा है। परंतु अब यह सोच रखने का समय चला गया है, हम मनीषियों को उदारता लाकर इसका हल हम अपने आसपास अपने स्वयं की जीवनशैली में परिवर्तन लाकर निकालना अब समय की मांग है। वर्ना आने वाली पीढ़ियों के लिए हम भयानक त्रासदी के पल छोड़कर जाएंगे और उनकी आलोचना और नफरत के पात्र बनेंगे। चूंकि दिनांक 20 अक्टूबर 2022 को पीएम महोदय ने मिशन लाइफ का शुभारंभ संयुक्त राष्ट्र महासचिव के सानिध्य में शुभारंभ किया और देखते ही देखते संयुक्त राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले 11 राज्यों के प्रमुखों द्वारा मिशन लाइव के शुभारंभ पर बधाई के वीडियो संदेश भेजे गए जो वहां प्रसारित किए गए इसलिए आज हम पीआईबी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से पर्यावरण सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जनभागीदारी पर चर्चा करेंगे। आओ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अपने सामर्थ्य के हिसाब से योगदान दें।
 
साथियों बात अगर हम भारत की करें तो पहाड़ी राज्यों सहित अनेक राज्यों में हम प्राकृतिक विपदाओं को टीवी चैनलों के माध्यम से देखते आ रहे हैं मेरा मानना है इसके जिम्मेदार हम खुद मनीष जीव हैं क्योंकि हम अनेकों माध्यमों से प्रकृतिक संपदाओं को नुकसान, अवैध खनन सहित अन्य माध्यमों से पहुंचाते हैं बायोडायवर्सिटी में सहायक प्रमुख जीवो को विलुप्तता के कगार पर पहुंचाने का कार्य भी हम कर रहे हैं हालांकि सरकारों द्वारा अनेक नियम कानून बनाए गए हैं परंतु जरूरत हमें उन्हें सख्ती से पालन करने की है और अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करने की है, जैसे हाल ही में बनाया गया कानून सिंगल यूज प्लास्टिक बंदी का पालन हर नागरिक को करना चाहिए और प्रशासन का भी काफी महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है कि स्थानीय निकाय स्तर से ऊपर तक बिना भ्रष्टाचार, भेदभाव हफ्ताखोरी के दोषियों पर समानता से कार्यवाही करें।
 
साथियों बात अगर हम दिनांक 20 अक्टूबर 2022 को माननीय पीएम द्वारा मिशन लाइफ़ के शुभारंभ के अवसर पर संबोधन की करें तो उन्होंने कहा मिशन लाइफ का मंत्र पर्यावरण के लिए जीवन-शैली है। मिशन लाइफ के लाभों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह इस धरती की सुरक्षा के लिए जन-जन की शक्तियों को जोड़ता है उनका बेहतर इस्तेमाल करना सिखाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मिशन लाइफ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाता है जिसमें हर कोई अपने सामर्थ्य के हिसाब से योगदान दे सकता है। मिशन लाइफ हमें प्रेरित करता है कि हम सब अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसा बहुत कुछ कर सकते हैं जिसमें पर्यावरण की सुरक्षा हो। मिशन लाइफ मानता है कि अपनी जीवनशैली में बदलाव करके पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। उन्होंने बिजली बिल कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत में एलईडी बल्ब को अपनाने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, इससे बड़े पैमाने पर बचत व पर्यावरणीय लाभ हुए और यह एक निरंतर स्थायी लाभ है।
उन्होंने प्रचलित धारणा के बारे में बताया कि जलवायु परिवर्तन को लेकर ऐसी धारणा बना दी गई है जैसे यह सिर्फ पॉलिसी से जुड़ा विषय है। इसके लिए एक विचार प्रक्रिया की जरूरत मानते हुए इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को केवल सरकार या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर छोड़ दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से हो रहे बदलाव को लोग अपने आसपास महसूस करने लगे हैं। पिछले कुछ दशकों में हमने इसके दुष्प्रभाव देखे हैं, अप्रत्याशित आपदाओं को झेला है। यह सीधे तौर पर स्पष्ट कर रहा है कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ नीति-निर्माण से जुड़ा विषय नहीं है और लोग स्वयं यह समझ रहे हैं कि उन्हें एक व्यक्ति, परिवार और समुदाय के रूप में पर्यावरण में योगदान देना चाहिए। उन्होंने रिड्यूस, रियूज एंड रिसाइकल और सर्कुलर इकोनॉमी की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह हजारों वर्षों से भारतीयों की जीवन-शैली का हिस्सा रही है। दुनिया के अन्य हिस्सों की बात करते हुए, उन्होंने कहा कि ऐसी प्रथाएं प्रचलित हैं, जो हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा,मिशन लाइफ में प्रकृति के संरक्षण से जुड़ी हर उस जीवन शैली को शामिल किया जाएगा, जिसे हमारे पूर्वजों ने अपनाया था और जिसे आज हमारी जीवनशैली का हिस्सा बनाया जा सकता है। उन्होंने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा वह उन विचारकों में से एक थे जो बहुत पहले पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने का महत्व समझ गए थे। उन्होंने ट्रस्टीशिप की अवधारणा विकसित की। मिशन लाइफ हम सभी को पर्यावरण का ट्रस्टी बनाता है। ट्रस्टी वह होता है जो संसाधनों के अंधाधुंध इस्तेमाल की अनुमति नहीं देता है। एक ट्रस्टी एक पोषणकर्ता के रूप में काम करता है न कि एक शोषक के रूप में।
 
साथियों बात अगर हम संयुक्त राष्ट्र महासचिव के संबोधन की करें तो उन्होंने महात्मा गांधी का हवाला देते हुए कहा, दुनिया के पास सभी की जरूरतों के लिए पर्याप्त संसाधन है लेकिन हर किसी के लालच के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि हमें पृथ्वी के संसाधनों का विवेक और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने धनी देशों और जीवन शैली में बदलाव लाने का संकल्प लिया ताकि हम पृथ्वी के संसाधनों को उचित रूप से साझा कर सकें और केवल वही ले सकें जो हमें चाहिए। अब जबकि भारत पूरी तरह से अपने इतिहास, संस्कृति और परंपरा के अनुरूप स्थिरता के एक नये युग की शुरुआत करने में मदद देने हेतु जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने वाला है, उन्होंने सभी देशों से भारत पर भरोसा करने का भी आग्रह किया। मिशन लाइफ का उद्देश्य स्थिरता के प्रति हमारे सामूहिक दृष्टिकोण को बदलने के लिए त्रिस्तरीय रणनीति का पालन करना है। सबसे पहले व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन (मांग) में सरल लेकिन प्रभावी पर्यावरण के अनुकूल कार्यों का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करना है; दूसरा, उद्योगों और बाजारों को बदलती मांग (आपूर्ति) के लिए तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाना और; तीसरा है टिकाऊ खपत और उत्पादन (नीति) दोनों का समर्थन करने के लिए सरकार और औद्योगिक नीति पर प्रभाव डालना।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मिशन लाइफ, आओ जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में अपने सामर्थ्य के हिसाब से योगदान दें। सुरक्षित पर्यावरण के लिए एक व्यक्ति परिवार और समुदाय के रूप में जीवनशैली में बदलाव कर पर्यावरण में योगदान समय की मांग है।

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Kishan sanmukh

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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