गीत साढ़े सोलह कदम/sadhe-solah-kadam

गीत 
साढ़े सोलह कदम

न पूछ के किस - किस तरहा से मजबूर हूँ
अपनी रफ्तार से बस साढ़े सोलह कदम दूर हूँ
जिन्दगी मजबूर होना चाहती है! तो हो जाए
मैं तो वैसे ही एक अरसे से चकनाचूर हूँ
अपनी रफ्तार से बस साढ़े सोलह कदम दूर हूँ
कोशिश लाख की है वक्त ने के तोड़ डालूँ
मैं अब भी अड़ा हूँ, आदत से जो मजबूर हूँ
अपनी रफ्तार से बस साढ़े सोलह कदम दूर हूँ
न दिन में कोई सुकून है, न है चैन रातों में
हाँ... कभी - कभार परेशान हो जाता जरूर हूँ
अपनी रफ्तार से बस साढ़े सोलह कदम दूर हूँ
वक्त बदले या ना बदले ये उसकी मर्जी...
मैं खुद को बदल लूंगा, मैं खुद का ग़ुरूर हूँ
अपनी रफ्तार से बस साढ़े सोलह कदम दूर हूँ
न सुख से कोई वास्ता न दुख से कोई दिक्क़ते
तमाम लम्हा बीत गया मैं बन चुका गमरूर हूँ
अपनी रफ्तार से बस साढ़े सोलह कदम दूर हूँ

About author

-सिद्धार्थ गोरखपुरी
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url