आओ मिलीभगत छोड़ सत्यनिष्ठा ईमानदारी से अपने पद की जवाबदेही निभाने की शपथ लें

 मिली भगत - सांठगांठ 

आओ मिलीभगत छोड़ सत्यनिष्ठा ईमानदारी से अपने पद की जवाबदेही निभाने की शपथ लें 

शासकीय कार्यों के सभी पहलुओं में सत्यनिष्ठा पारदर्शिता और सुशासन के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए सटीक नेतृत्व ज़रूरी - एडवोकेट किशन भावनानी 
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भ्रष्टाचार शब्द सदियों से चला आ रहा है भारत में तो यह सैकड़ों साल पूर्व अंग्रेजों के जमाने से ही चला रहा है। परंतु अब इस शब्द के साथ एक नई थीम मिलीभगत जुड़ गई है, जो हमें अब कई बार सुनाई देता है कि सब मिलीभगत है और कुछ नहीं!! कई न्यायालयों से भी कमेंट आता है कि आप उसकी मदद ही नहीं कर रहे हैं आपकी उसके साथ मिलीभगत है। यह बात सुपरटेक मामले में भी अपेक्स कोर्ट में आई थी और अभी 30 अक्टूबर 2022 को मोरबी गुजरात में हुए भयानक हादसे में भी टीवी चैनलों पर जो बयान आ रहे हैं उसमें अनेक खामियों को देखते हुए वहां भी मिलीभगत शब्द का प्रयोग किया जा रहा है इसलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से भ्रष्टाचार में मिलीभगत और उसे तोड़ने के लिए हम चर्चा करेंगे, आओ मिलीभगत छोड़ सत्य निष्ठा ईमानदारी से अपने पद की जवाबदेही निभाने की शपथ लें साथियों बात अगर हम प्रैक्टिकली अनेक शासकीय विभागों में उनके कार्यालय में देखें तो हमें बाबू से लेकर बड़े अधिकारियों द्वारा चकरे खिलाए जाते हैं। कुछ अपवाद छोड़ दें तो यह स्थिति करीब-करीब हर कार्यालय में देखने को मिलती है इसलिए हमारे दिमाग में बात आती है सब मिलीभगत है क्योंकि हम अगर वही काम किसी बिचौलिए या दलाल के माध्यम से करने जाते हैं तो नीचे से ऊपर तक का काम हाथों-हाथ हो जाता है। इसीलिए हम फिर सोचते हैं कि यह मिलीभगत नहीं तो फिर क्या है ? कुछ शासकीयकार्यालयों का मुझे निजी अनुभव है कि कैसे मिलीभगत काम होता है। 

साथियों हम हर पद पर बैठे बाबू से लेकर उच्च अधिकारी की करें तो उन्हें हर वर्ष केंद्रीय सतर्कता आयोग के माध्यम से हर कार्यालय द्वारा जागरूकता सप्ताह बनाकर सत्यनिष्ठा और ईमानदारी की शपथ दिलाई जाती है, जो इस साल भी 31 अक्टूबर से 6 नवंबर 2022 तक मनाया जा रहा है और करीब-करीब हर कार्यालय अपने कर्मचारियों अधिकारियों को शपथ दिला रहा है अगर वास्तव में इन कर्मचारियों द्वारा शपथ का पालन किया जाता है तो मिलीभगत का नाम ही नहीं आएगा क्योंकि जब भ्रष्टाचार नहीं होगा तो मिलीभगत यानें नीचे से ऊपर तक की चेन ही टूट जाएगी इसके लिए हर स्तर के अधिकारी बाबू चपरासी से लेकर मंत्री तक को यह शपथ लेनी होगी और सभी शासकीय कार्यों को सभी पहलुओं में सत्यनिष्ठा पारदर्शिता और सुशासन के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए सटीक नेतृत्व हर कार्यालय के प्रमुख को करना होगा 
साथियों बात अगर हममिलीभगत की करें तो यह अधिकतम शासकीय मामलों भ्रष्टाचार और राजनीतिक क्षेत्रों में अधिक सुनने को मिलता है। मेरा मानना है कि पद पर आसीन बाबू से लेकर अधिकारी को अपना माइंड सेट इस सत्यनिष्ठा से करना होगा कि यह पद रूपी अन्नदाता हमारी रोजी-रोटी प्रदान करता है, इसके साथ गद्दारी मंजूर नहीं इसका संकल्प तो हम हर वर्ष जागरूकता सप्ताह में लेते हैं परंतु जरूरत है इसे निष्पादन करने की वैसे अंग्रेज़ी से अनुवाद किया गया कॉन्टेंट-मिलीभगत दो या दो से अधिक पार्टियों के बीच एक कपटपूर्ण समझौता या गुप्त सहयोग है जो दूसरों को उनके कानूनी अधिकार को धोखा देकर, गुमराह करने या धोखा देकर खुली प्रतिस्पर्धा को सीमित करता है। मिलीभगत को हमेशा अवैध नहीं माना जाता है। क्योंकि तकनीकी रूप से, अगर हम विभिन्न आपराधिक विधियों की खोज करेंगे, तो हमको मिलीभगत शब्द नहीं मिलेगा, लेकिन 'सांठ गांठ' करना और कानून को तोड़ना भी संभव है, मिलावटी' शब्द का चयन किया गया है। मिलीभगत का कोई कानूनी प्रभार नहीं है।

साथियों बात अगर हम केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा 31 अक्टूबर से 6 नवंबर2022 तक शुरू किए गए जागरूकता सप्ताह की करें तो, इस साल सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है और इसकी थीम ‘एक विकसित राष्ट्र के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ रखा गया है।कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी पीआईबी में कहा गया है, सतर्कताजागरूकता सप्ताह के तहत, सीवीसी तीन नवंबर को विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम भी आयोजित करेगा। माननीय पीएम के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने की उम्मीद है। सतर्कता जागरूकता सप्ताह सोमवार से शुरू हो गया और इसके तहत सार्वजनिक जीवन में शुचिता को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। एक अधिकारिक बयान में यह कहा गया है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग हर साल उस हफ्ते सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाता है,जिसमें अक्टूबर महीने की 31 तारीख पड़ती है। इसी दिन देश के प्रथम गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाई जाती है।

साथियों बड़ी विडंबनाहै कि हमारे देश की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक प्रगति में भष्टाचार एक बड़ी बाधा है।हमारा विश्वास है कि भष्टाचार का उन्मूलन करने के लिए सभी संबंधित पक्षों जैसे सरकार, नागरिकों और निजी क्षेत्र को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस दिशा में स्वयं को एक उदाहरण के रुप में प्रस्तुत करने और रक्षा उपाय, सत्यनिष्ठा, ढांचा और नीतिसंहिता स्थापित करने के अपने उत्तरदायित्व को हम स्वीकार करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हम किसी भी भ्रष्ट आचरण का हिस्सा नहीं हैं। साथ ही भ्रष्टाचार के दृष्टांतों पर हम अत्याधिक सख्ती से कार्रवाई करते हैं। हम नीतिपरक कार्य पद्धतियों को बढ़ावा देंगे और इमानदारी और सत्यनिष्ठा की संस्कृति को प्रोत्साहन देंगे। हम न तो रिश्वत देंगे और न ही रिश्वत लेंगे। हम पारदर्शिता, जिम्मेवारी और निष्पक्षता पर आधारित सुशासन की प्रतिज्ञा करते हैं। हम कार्यों के संचालन में संबद्ध कानूनों, नियमावलियों तथा अनुपालन प्रक्रियाओं का पालन करेंगे। हम अपने सभीकर्मचारियों के लिए एक नीति संहिता अपनाएंगे। हम अपने कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों के इमानदार निष्पादन के लिए उनके कार्य से संबद्ध नियमों, विनियमों आदि के बारे में सुग्राही बनाएंगे। हम समस्याओं तथा कपटपूर्ण कार्यकलापों की सूचना देने के लिए समस्यासमाधान व पर्दाफाश तंत्र का प्रबंध करेंगे। हम संबंधित पक्षों एवं समाज के अधिकारों तथा हितों का संरक्षण करेंगे। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मिलीभगत, आओ मिलीभगत छोड़ सत्य निष्ठा और ईमानदारी से अपने पद की जवाबदेही निभाने की शपथ ले। शासकीय कार्यों में सभी पहलुओं में सत्य निष्ठा पारदर्शिता और सुशासन के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए सटीक नेतृत्व जरिए जरूरी है। 

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Kishan sanmukh

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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