मतदान की प्रौद्योगिकीय तरक्की
मतदान की प्रौद्योगिकीय तरक्की
वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में टारगेट हंड्रेड परसेंट वोटिंग के लिए 2024 को आधार बनाना वर्तमान समय की मांग - एडवोकेट किशन भावनानीगोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, यह सर्वविदित है और कई बार इसका उल्लेख हो चुका है। परंतु अक्सर हम ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा चुनाव तक में देखते हैं कि वोटिंग प्रतिशत बहुत कम रहता है। बहुत बार 50 फ़ीसदी से भी कम तक आ जाता है जो खेदजनक है। भारतीय निर्वाचन आयोग इसके लिए अनेक अभियान चला चुका है।लोगों को चुनाव में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाता है पर जनजागृति की कहीं ना कहीं कमी रह जाती है। इसीलिए मेरा मानना है कि चुनाव आयोग को अब ऐसे तकनीकी बिंदुओं की कड़ियों को जोड़ना होगा ताकि वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में टारगेट हंड्रेड परसेंट वोटिंग के लिए 2024 को आधार बनाकर इस पर तकनीकी उपायों पर विचार मंथन करना होगा। कई बार हम देखते हैं कि अनेक क्षेत्रों में दो निर्वाचन क्षेत्रों की लिस्ट में एक नाम डबल रहता हैं, कई का 2 राज्यों और शहरों में भी नाम रहता है इसका गलत उपयोग भी शायद होने की संभावना बनी रहती है, इसीलिए तकनीकी हल प्रौद्योगिकी स्तरपर देना होगा। इसके अलावा मेरा मानना है कि लाखों करोड़ों वोट ऐसे होंगे जो कामकाजी मज़दूरी, रोजगार के सिलसिले में दूसरे शहरों राज्यों में बसते हैं और वोट करने नहीं आ पाते, जिसका समाधानप्रौद्योगिकी तरक्की के युग में आयोग ने ढूंढ निकाला है और वह बहू निर्वाचन क्षेत्र प्रोटोटाइप प्रमोट ईवीएम की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन 8मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और 57 राज्यस्तरीय राजनीतिक पार्टियों को 16 जनवरी 2023 को किया जा रहा है। जिसका लिखित मंतव्य यह सभी राजनीतिक दल 31 ज़नवरी 2023 तक दे सकते हैं। चूंकि भारतीय निर्वाचन आयोग इस अवधारणा को जारी कर दिया है, इसलिए आज हम निर्वाचन आयोग की जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,मतदान की प्रौद्योगिकीय तरक्की, वर्तमान प्रौद्योगिकी युग में टारगेट हंड्रेड परसेंट वोटिंग के लिए 2024 को आधार बनाना वर्तमान समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम वर्तमान 8 दिसंबर 2022 को दो राज्यों और एमसीडी के चुनाव नतीजों में उस में की गई वोटिंग प्रतिशत की करें तो, गुजरात में 64.33 फ़ीसदी हिमाचल प्रदेश में 76.74 फ़ीसदी दिल्ली एमसीडी मात्रा क़रीब 50 फ़ीसदी में वोटिंग हुई परंतु इसके पूर्व भी पांच राज्यों के चुनाव में हुए वोटिंग भी कम हुई थी अभी 2023 में 11 विधानसभाओंं की वोटिंग है और फिर 2024 में आम लोकसभा चुनाव जिसकी जोरदार तैयारियां अभी से ही अनेक राजनीतिक दलों द्वारा मिशन 2024 के रूप में किया जा रहा है,नीतियां रणनीतियां बनाकर वोट पक्का करने की कोशिश शुरू हो गई है। मेरा मानना है कि इसमें सोने पर सुहागा तब होगा जब मिशन हंड्रेड परसेंट वोटिंग के टारगेट पर तीव्रता से हर राजनीतिक पार्टी काम कर तकनीकी और शासकीय शक्ति के स्तरपर भी वोटिंग करने वालों को प्रमाण पत्र निर्गमित कर किसी भी शासकीय प्रक्रिया में उसे अनिवार्य बनाया जाए या हितधारक को डीबीटी देने पर यह प्रमाण पत्र अनिवार्य हो।
साथियों बात अगर हम भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा 29 दिसंबर 2022 को जारी अवधारणा पत्र की करें तो, आयोग सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित उद्यम के सहयोग से घरेलू प्रवासी मतदाताओं की भागीदारी को संभव करने के लिए उनके रिमोट लोकेशन अर्थात शिक्षा/रोजगार आदि के प्रयोजन से उनके मौजूदा निवास स्थान से, उनके गृह निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान करने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक बहु-निर्वाचन क्षेत्र रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) को प्रायोगिक तौर पर शुरू करने के लिए तैयार है। ईवीएम का यह संशोधित रूप एक एकल रिमोट पोलिंग बूथ से 72 विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों पर मतदान करा सकता है। यदि यह पहल कार्यान्वित कर दी जाती है तो यह प्रवासियों के लिए एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन लेकर आने की क्षमता रखती है और उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने में मददगार होगी, क्योंकि कई बार वे विभिन्न कारणों जैसे कि उनके निवास स्थानों के नियमित तौर पर बदलने, प्रवास क्षेत्र के मुद्दों से सामाजिक और भावनात्मक रूप से पर्याप्त जुड़ाव न होने, अपने गृह/मूल निर्वाचन-क्षेत्रों की निर्वाचक नामावली से नाम कटवाने की अनिच्छुकता (चूंकि उनका वहां स्थायी निवास/संपत्ति होती है) से अपने कार्यस्थान पर स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत करवाने के प्रति अनिच्छुक रहते हैं। यह विशेष उल्लेखनीय है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, चमोली जिले के दुमक गांव के दूरस्थ मतदान केंद्र की अपनी पैदल यात्रा (ट्रैकिंग) से आंतरिक प्रवासन की समस्या से सीधे रूबरू हुए और उन्होंने अपना ध्यान इस बात पर केन्द्रित किया कि प्रवासी मतदाताओं को निवास के उनके वर्तमान स्थान से ही मताधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाया जाए। इस तरह के सशक्तिकरण को कार्यान्वित करने के लिए कानूनी, वैधानिक, प्रशासनिक और प्रौदयोगिकीय पहल की जरूरत है। आयोग की टीम ने सभी सामाजिक-आर्थिक स्तरों पर प्रवासियों की चुनावी भागीदारी को संभव बनाने के लिए सर्वसमावेशी समाधान ढूंढने और मतदान करने की वैकल्पिक पद्धतियों जैसे कि दो-तरफ़ा प्रत्यक्ष ट्रांजिट पोस्टल बैलट, परोक्षी (प्रॉक्सी) मतदान, विशेष समय-पूर्व मतदान केंद्रों में जल्दी मतदान, डाक मतपत्रों का एकतरफा या दोतरफा इलेक्ट्रॉनिक प्रेषण (ईटीपीबीएस), इंटरनेट आधारित मतदान प्रणाली आदि सभी विकल्पों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। ऐसा संज्ञान में आया है किप्रौद्योगिकीय तरक्की के युग में प्रवासन के आधार पर मतदान के अधिकार से वंचित करना स्वीकार योग्य विकल्प नहीं है। आम चुनाव 2019 में 67.4 फ़ीसदी मतदान हुआ था और भारत निर्वाचन आयोग 30 करोड़ से अधिक निर्वाचकों द्वारा मतदान करने के अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करने और विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों मेंमतदान का प्रतिशत अलग-अलग होने को लेकर सजग है। यह माना जाता है कि एक मतदाता द्वारा निवास के नए स्थान में पंजीकरण न कराने और इस तरह, मतदान करने के अधिकार का प्रयोग करने का अवसर गंवाने के अनेक कारण होते हैं। वोटर टर्नआउट में सुधार लाने और निर्वाचन में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रमुख बाधा आंतरिक प्रवासन (घरेलू प्रवासियों) के कारण मतदाताओं द्वारा मतदान न कर पाना भी है जिसका समाधान किया जाना आवश्यक है। हालांकि, देश के भीतर प्रवासन के लिए कोई केंद्रीय डेटाबेस उपलब्ध नहीं है, फिर भी पब्लिक डोमेन में उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता चलता है कि रोजगार, शादी और शिक्षा से संबंधित प्रवासन समग्र घरेलू प्रवासन का महत्वपूर्ण घटक है। अगर हम समग्र घरेलू प्रवासन को देखें तो ग्रामीण आबादी के बीच बहिर्प्रवासन बड़े पैमाने पर देखा गया है। आंतरिक प्रवासन का लगभग 85 फ़ीसदी हिस्सा राज्यों के भीतर होता है। अन्य विषयों के साथ ही घरेलू प्रवासियों को परिभाषित करने, आदर्श आचार संहिता लागू करने,मतदान की गोपनीयता बनाए रखने, मतदाताओं की पहचान के लिए पोलिंग एजेंटों को सुविधा देने, रिमोट मतदान की प्रक्रिया और पद्धति तथा मतों की गणना में आने वाली चुनौतियों का उल्लेख करते हुए सभी राजनैतिक दलों के बीच एक अवधारणा पत्र परिचालित किया गया है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मतदान की प्रौद्योगिकीय तरक्की, प्रवासी नागरिकों के लिए रिमोट वोटिंग की सुविधा प्रस्तावित, राजनीतिक दल 16 जनवरी 2023 को आमंत्रित, 31 जनवरी 2023 तक मंतव्य आमंत्रित वर्तमान प्रौद्योगिकी की युग में टारगेट हंड्रेड परसेंट वोटिंग के लिए 2024 को आधार बनाना वर्तमान समय की मांग है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। यही कारण है कि माँ को पृथ्वी पर ईश्वर अल्लाह का रुप भी माना जाता है।इसलिए हमें माँ के महत्व के महत्व को समझते हुए, उसे सदैव ख़ुश रखने की कोशिश करनी चाहिए।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हे माँ,भाग्यशाली हैं वे जिनके पास माँ है। माँ के चरणों में स्वर्ग बसता है।माँ हीरा है, जिसमें ममता स्नेह धैर्य विश्वास कितना कुछ समाया होता है। वह हमारा शरीर ही नहीं बल्कि मन व्यक्तित्व आत्मविश्वास भी गढ़ती है, सराहनीय विचार है।
About author
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र