आज का नेता | aaj ka neta
आज का नेता
नेताजी का पेट निरालाभरे इसे पैसों की माला
फर्क ना इसको पड़े कभी
चाहे गिरे ओस या पाला।।
कुर्सी-कुर्सी रटे मन में जाला
राशन में भी करे घोटाला
आला रे आला देखो आला
चुनाव प्रसार करने पहन ये माला।।
कोई कहे कामचोर ये ....
कोई कहे पचे ना इसे ये गाला
कोई कहे स्वच्छ हो ये जाला
कोसे इसे हर वक्त ईमान वाला।।
फिर भी फर्क पड़े ना , ये मतवाला।।२।।
नेता तो हवाई यात्रा कर जाते
ऊपर से बाढ़ सूखे का दौरा कर जताते
तनिक जरा उस जगह उतर के देखो
बाढ़ सूखे से त्रस्त प्राणी संग बतिया बैठो।।
कोई नहीं इस जग में अपना पराया
मतलबी दुनिया यही तो समझाया
पैंसों की ही फैली हर ओर माया
प्रेम नहीं चाही आज सबने सिर्फ काया।।
About author
दर्द - ए शायरा