लघुकथा–मुलाकात | laghukatha Mulakaat
लघुकथा–मुलाकात | laghukatha Mulakaat
कालेज में पढ़ने वाली ॠजुता अभी तीन महीने पहले ही फेसबुक से मयंक के परिचय में आई थी। दोनों घंटों चैट करते थे। शुरू-शुरू में दोनों में औपचारिक बातें ही होती थीं। धीरे-धीरे दोनों के बीच प्रणय की बातें होने लगी थीं। दोनों एकदूसरे का फोटो भी लेनेदेने लगे थे। मयंक ने एक दिन ॠजुता के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। ॠजुता उसकी बातों से काफी प्रभावित थी। वह उसे अच्छा भी लगने लगा था। इसलिए उसने मयंक से एक बार मिलने की बात कही। मयंक ने भी उसकी बात मान ली।
मिलने के लिए दोनों ने जगह और समय तय कर लिया। एकदूसरे को पहचानने के लिए निशानी भी बता दी थी। तय की गई निशानी के अनुसार ॠजुता ने लाल रंग का सलवार सूट पहना और तय की गई जगह पर पहुंच गई। मयंक पहले से ही हाथ में बुके लिए खड़ा था। ॠजुता आश्चर्य से उसे देखती रह गई। वह कुछ सोच पाती, उसके पहले ही 45 साल का वह अधेड़ आदमी हाथ में बुके ले कर भागते हुए उसके पास आ कर बोला, "हाय ॠजुता, कैसी हो? मैं मयंक, यह बुके तुम्हारे लिए।"
ॠजुता के तो पैरों के तले से जमीन खिसक गई। उसकी आंखों के सामने अंधेरा सा छा गया।