तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ| Tumse ab mai kya chupaun
तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ
तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ , सोचता हूँ यह भी मैं।
किस्सा खत्म ही यह कर दूँ , बातें सारी बताकर मैं।।
तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ-----------------।।
एक वह तू ही है बस,जिसको मैंने माना अपना।
विचार कभी यह भी आया, लुटेरा बन जाऊं मैं।।
तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ---------------।।
नाज है तुम पर मुझको,जबकि यहाँ है हुर्र बहुत।
उनसे नहीं मतलब मुझको, चाहता हूँ तुमको ही मैं।।
तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ--------------।।
तू भी उनमें शामिल है, जो रखते हैं मुझसे दूरी।
चाहते हो तुम मेरी बर्बादी, कर दूँ तुम्हें बर्बाद मैं।।
तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ-------------।।
मुझसे यह होता नहीं है, छीन लूं तेरा सुख-चैन।
कर दूँ तुमको बदनाम मैं, चर्चें तेरे सब सुनाकर मैं।।
तुमसे अब मैं क्या छुपाऊँ--------------।।