ऐसा हो 2024 का मेरा प्रधानमंत्री!

ऐसा हो 2024 का मेरा प्रधानमंत्री!

आओ 2024 में कर्तव्यनिष्ठ, समर्पित और कुशल नेतृत्व को प्राथमिकता देकर पीएम बनाएं
मतदाता अब जागरूक हो चुका है - आओ पिछले साढे चार वर्षों में हमने निजी, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष में क्या पाया क्या खोया का विश्लेषण करें - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत की हर गाथाओं, विकास की गतिविधियों, नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास सहित हर क्षेत्र में हो रहे अभूतपूर्व विकास पर नजर रखते हुए अब 2024 में होने वाले आम संसद चुनाव पर लगी हुई है कि, भारत का अगला नेतृत्वकर्ता यही कंटिन्यू में रहेगा या जनता का मूड कुछ अलग है, इसपर पूरी दुनिया सहित संपूर्ण भारत के विशेषज्ञों राजनीतिज्ञों रणनीतिकारों उद्योग जगत से लेकर रेहड़ी पटरी वालों तक और एक अति गरीब से लेकर एक भिक्षक तक का उतावलापन इस प्रश्न को लेकर है, 2024 नें इसीलिए भी जोर पकड़ा है कि प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर इस डिजिटल युग में लगातार पिछले कई दिनों से 2024 का पीएम कौन होगा पर चर्चाएं, डिबेट चल रही है। विपक्ष में एकजुटता के कयास चलाकर कोई एक व्यक्ति को अगला संभावित पीएम पद के लिए घोषित करने के लिए आपाधापी चल रही है, जिसके कई नाम मीडिया में आ रहे हैं।इधरवर्तमान पीएम का अगला संभावित पीएम घोषित होने की निश्चितता शायद सब जानते होंगे। पर अब हम नागरिकों के सामने जो अपेक्षाएं हैं कि ऐसे हो 2024 का मेरा पीएम, उसके लिए हमें अभी से ही गतिविधियों पर नज़र रखना प्रारंभ करना होगा क्योंकि हम अगले पूरे पांच साल के लिए अगला पीएम चुनेंगे जो हमारी अपेक्षाओं पर खरा खरा उतर सके। चूंकि अब मतदाता जागरूक हो चुके हैं इसलिए आज हम चर्चा करेंगे कि पिछले साढे चार वर्षों में हमने निजी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष में क्या पाया क्या खोया इसका विश्लेषण कर भविष्य की इन्हीं तीनों परिपेक्ष्य में हमारी क्या अपेक्षाएं हैं इस पर चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम अपने अगले 2024 के पीएम से अपेक्षाओं की करें तो हमारी चाहत है (1) प्रशासकीय क्षेत्रों में सुधार हो - हमें ऐसा पीएम चाहिए जो शासकीय काम के प्राथमिक टेबलों की प्रक्रिया पर लगाम लगाए ताकि भ्रष्टाचार की स्टेप्स में कमी हो। पटवारी से लेकर कलेक्टर तक पूरी तरह से पारदर्शिता हो क्योंकि अभी भी अगर हम इस चैन में जाते हैं तो टेबल टू टेबल प्रक्रिया में फ़स जाते हैं और अंतिम उपाय हरे गुलाबी ही है, हालांकि यह स्टेट के अंतर्गत आता है पर इसको कुशासन या वीक पॉइंट को मानकर कुछ स्तर तक सुधारात्मक पारदर्शिता करना ज़रूरी है। ऐसा व्यक्ति पीएम हो जो अब, कलेक्टर लेवल से ना होकर के पटवारी लेवल से मन की बात करें। हर शासकीय टेबल की जवाबदेही निश्चित हो, भ्रष्टाचार कानून को अति सख्त बनाया जाए क्योंकि इसका रिजल्ट अभी पिछड़ा हुआ है। अधिकतम दोषी छूट जाते हैं। कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक का मिलीभगत चैनल को अति सख़्ती से तोड़ा जाए क्योंकि आम जनता को इसी चैनल से अति परेशानी का सामना करना पड़ता है। (2) सबलों को बाहर निर्बलों को अंदर - यह एक कटु सत्य है कि दशकों से चले आ रहे आरक्षण प्रक्रिया में सबल और अधिक मज़बूत सबल और निर्बल वैसे ही रहने का क्रम जारी है। आज ज़रूरत है, सबल हो चुके लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी आरक्षण पर अंकुश लगाया जाए जिसका विकास हो गया है, अति संपन्न हो चुके हैं, उनको इस प्रक्रिया से बाहर करें। अब उन्हें इस दायरे में ढूंढ कर लाया जाए जो अभी तक वाकई निर्बल ही हैं उन्हें इसके बारे में जानकारी तक नहीं है कि कैसे आरक्षण के दायरे में लाया जा सकता है। उपरोक्त दोनों मुद्दों ऐसे हैं जो ऊपरी तौर पर तुच्छ दिखते हैं परंतु हम जितना इसके अंदर जाएंगे, उतने लीकेजेस हमें मिलते चले जाएंगे। बस! जरूरत है इन लीकेजेस को बंद करने की जो हम 2024 के पीएम से अपेक्षा रखते हैं, और उसी को पीएम के रूप में देखना पसंद करेंगे।
साथियों बात अगर हम नेतृत्व क्षमता और उसके व्यक्तित्व की करें तो, किसी देश को विकसित करने के लिए उस राष्ट्र-राज्य को सिर्फ भौतिक-आर्थिक विकास के संदर्भ में ही विकास की आवश्यकता नहीं होती बल्कि विकास का लाभ समाज के निचले तबके और अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए ताकि उसके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आए और अर्थव्यव्स्था आत्मनिर्भर बने। इसके साथ ही आवश्यकता किसी भी राष्ट्र के सांस्कृतिक पुनरुद्धार की भी होती है, जो सकारात्मक सभ्यता के साझा मूल्यों और इन मूल्यों में गर्व की भावना पर आधारित हो। इतना ही नहीं, इसके लिए राजनीतिक स्थिरता की आवश्यकता होती है और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में उस देश के लिए एक उचित स्थान भी ज़रूरी है। कोई देश अपने नागरिकों, उसके शासन वाले संस्थानों और उसका नेतृत्व करने वाले नेताओं के मूल्यों से ही महान बनता है। इसके लिए चार बुनियादी विशेषताएं होनी चाहिए (1)वे दूरदृष्टि रखते हों, लक्ष्य तय करते हों और उस लक्ष्य को पूरा करने में लगे रहते हैं। (2) वे अपने एजेंडे को लेकर निर्णायक और स्पष्ट होते हों। (3) लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह अपने भीतर देखते हों। (4) उनका अपना एक करिश्मा होता हो। एक सुस्पष्ट दृष्टि और योजना हो कि आजादी के 100 वें साल में राष्ट्र किस मुकाम पर होगा। भारत के लिए एक विजन और दीर्धकालिक लक्ष्य तय किया हो। इसे हासिल करने के लिए उन्होंने व्यापक लक्ष्य को विभिन्न माध्यमों और अल्पकालिक लक्ष्यों में विभाजित किया हो और इसमें सरकार के हर वर्ग, पहलू और क्षेत्र को समावेश किया हो।लक्ष्य चाहे एक ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का हो या फिर व्यवसाय की सुगमता का या फिर वैश्विक निर्यात का प्रतिशत या वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सा बढ़ाने का हो, इनके बारे में एक स्पष्ट रुख अख्तियार की योजना हो और इन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में प्रयास की भी योजना हो।
साथियों आर्थिक और वित्तीय मानदंडों सहित हर क्षेत्र में वैश्विक सूचकांक को के मानदंडों के उच्च रैंकिंग हासिल करने की एक योजना हो और उस योजना पर का क्रियान्वयन करके जल्द ही उसका रिजल्ट लाने की क्षमता हो। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा हो। भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में आपको शायद ही कोई चरित्र मिलेगा जो सार्वजनिक जीवन में रहते हुए सार्वजनिक जीवन की दुष्प्रभावों से प्रभावित नहीं हुआ। निडर होकर उन्होंने काम किया हो और कभी किसी को लाभ नहीं पहुंचाया हो। वह करिश्माई हो जो वह खुद को जनता से जोड़ते हों। उनके लिए राजनीति पावर नहीं बल्कि सेवा का माध्यम हो।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ऐसा हो 2024 का मेरा प्रधानमंत्री। आओ 2024 में कर्तव्यनिष्ठ समर्पित और कुशल नेतृत्व को प्राथमिकता देकर पीएम बनाएं। मतदाता जागरूक हो चुका है, पिछले साढे चार वर्षों में हमने निजी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय परिपेक्ष में क्या पाया क्या खोया का विश्लेषण करें।


-संकलनकर्ता लेखक - कर विषेशज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

About author

कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url