दिल और धड़कन | Dil aur dhadkan

दिल और धड़कन

दिल और धड़कन | Dil aur dhadkan
धड़कन से है अस्तित्व दिल का,
और दिल से ही है धड़कन।
इक दूजे बिन अधूरे हैं दोनों,
जैसे प्रियतमा और प्रियतम।
जब तक धड़कन चलती रहती,
दिल बेपरवाह रहता।
करता रहता मनमर्ज़ी ये,
ना किसी की सुनता।
कभी ख़ुशी में ,संभाले ना संभालता,
और दुःख में उदास ये होये।
धड़कन होती परेशान बहुत हैं ,
इसके हर भावों से।
कहती जब तक में संग तेरे,
जीवन को जी ले ख़ुशी से।
ना कर उदास चित को अपने
मैं भी होती हूँ मध्यम इससे।
पर मेरा वादा हैं ऐ दिल तुमसे,
मैं करुँगी हिफाजत तेरी।
बस न किसी आवेश में आना,
वर्ना बेकाबू होगी गति मेरी।
हम दोनों मेहमान है मानव तन में
इक दूजे के साथी।
पर जब बुलावा आता ईश्वर का,
में छोड़ तुम्हे चली जाती।

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नंदिनी लहेजा | Nandini laheja
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
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