कविता-मैं तुम्हारी मीरा हूं| mai tumhari Meera hun.

कविता-मैं तुम्हारी मीरा हूं

कविता-मैं तुम्हारी मीरा हूं| mai tumhari Meera hun.
जहर का कटोरा पीने की हिम्मत हो,
तभी कहना कि हे कृष्ण मैं तुम्हारी मीरा हूं।
अगर प्यार का अर्थ आत्मसात करना हो,
तभी कहना कि हे कृष्ण मैं तुम्हारी मीरा हूं।
विरह की वेदना सहन करने की शक्ति हो,
तभी कहना कि हे कृष्ण मैं तुम्हारी मीरा हूं।
समर्पण यानी क्या? इस का भान हो,
तभी कहना कि हे कृष्ण मैं तुम्हारी मीरा हूं।
तन-मन और आत्मा से एकाकार होना आता हो,
तभी कहना कि हे कृष्ण मैं तुम्हारी मीरा हूं।
ममत्व त्याग कर सब कुछ न्यौछावर करना आता हो,
तभी कहना कि हे कृष्ण मैं तुम्हारी मीरा हूं।
पूरी दुनिया को छोड़ने की हिम्मत हो,
तभी कहना कि हे कृष्ण मैं तुम्हारी मीरा हूं।
अगर जहर का कटोरा पीने की तैयारी न हो,
तो क्यों? कहना कि हे कृष्ण मैं तुम्हारी मीरा हूं।,

About author 

वीरेन्द्र बहादुर सिंह जेड-436ए सेक्टर-12, नोएडा-201301 (उ0प्र0) मो-8368681336
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-436ए सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)
मो-8368681336
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url