सेंसेक्स से संसद अब सड़क तक एक्शन - कारपोरेट ज़गत में कोहराम ?

धड़ाम - अरे बाप रे - ओ माय गॉड 

सेंसेक्स से संसद अब सड़क तक एक्शन - कारपोरेट ज़गत में कोहराम ? 

सेंसेक्स से संसद अब सड़क तक एक्शन - कारपोरेट ज़गत में कोहराम ?

एक रिसर्च रिपोर्ट से कंपनियों के शेयर रेट ऐसे गिर रहे हैं मानो पतझड़ में पेड़ों से पत्ते - दुनिया के निवेशक हैरान - एडवोकेट किशन भावनानी 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर 1 फ़रवरी 2023 को आने वाले बजट पर पूरी दुनिया की नजरें लगी हुई थी। भारतवासियों का भी पूरा ध्यान बज़ट पर था। बजट आया अनेकों सौगाते लाया, परंतु स्वाभाविक रूप से कहीं खुशी तो कहीं थोड़ा बहुत गम भी लाया।पक्ष विपक्ष ने अपनी अपनी प्रतिक्रियाएं दी परंतु, अरे बाप रे! ओ माय गॉड! इनमें से कई लोग एक वित्तीय विपत्ति से अनजान थे, जिसकी नीव 24 जनवरी 2023 को ही पड़ गई थी। जिसका प्रभाव चूंकि, तभी सब 26 जनवरी 2023 के महापर्व में डूबे थे इसलिए इसके बाद धीरे धीरे उजगार होते रहा, जो बजट घोषित होने के बाद आज भी चरमस्तर पर है। कभी 2022 में कंपनी का मालिक रेटिंग में दूसरे नंबर पर था जो आज रेटिंग में 20 के भी नीचे आ गए हैं।सेंसेक्स से संसद अब सड़क तक एक्शन देखने को मिल रहा है! कारपोरेट जगत में कोहराम छाया हुआ है? कई हमारे वित्तीय विनियोगाकर्ताओं की स्थिति चरमरा गई है, तो कुछ लोगों के सरकारी वित्तीय संस्थाओं में विनियोग है जिन्होंने बड़ी मात्रा में उस कंपनी में विनियोग किया है, उनकी चिंताएं बढ़ गई है। स्वाभाविक रूप से बज़ट से ध्यान हट कर अब इस वित्तीय समस्या पर सारे देश सहित विदेशों के कारपोरेट क्षेत्र का ध्यान भी लगा हुआ है इसलिए आज हम टीवी चैनलों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आई जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि संसद से अब सड़क तक एक्शन, कारपोरेट क्षेत्र में कोहराम, एक रिसर्च रिपोर्ट से कंपनियों के शेयर रेट ऐसे गिर रहे हैं मानो पतझड़ में पेड़ों से पत्ते!दुनिया के निवेशक हैरान हैं।यह आलेख मीडिया में आई जानकारी के आधार पर है डाक्यूमेंट्स हमारे पास नहीं है। 

साथियों बात अगर हम इस कंपनी को अब तक के नुकसान की करें तो चूंकि अभी अभी बजट आया है इसलिए हम इसके कंपैरिजन में कहेंगे कि,रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट सामने आने के बाद उद्योगपति का साम्राज्य किस तेजी से डूबा है, इसेहमर यूं समझ सकते हैं, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत का बजट कुल45.03 लाख करोड़ हैं, इतनी बड़ी रकम का करीब एक चौथाई भाग यानी 10 लाख करोड़ का घाटा अब तक ग्रुप को सिर्फ दस दिन में हो चुका है। ग्रुप का घाटा भारत के रक्षा बजट 4 लाख 32 हजार करोड़ रुपये से भी दोगुना है। रिसर्च रिपोर्ट सामने आने के बाद ग्रुप की कंपनियों के शेयर ऐसे गिरे हैं, जैसे पतझड़ में पेड़ों से पत्ते! 24 जनवरी 2023 के बाद से ग्रुप के शेयर हर दिन टूटे और ऐसा टूटे कि दुनिया के अमीरों की सूची से उद्योगपति टॉप-20 से बाहर हो गए! शेयरों में आई गिरावट की वजह से ग्रुप के मार्केट कैपिटलाइजेशन में अब तक कुल 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई है,ये रकम कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा हमर इस बात से लगा सकते हैं कि, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारतीय रेल का बजट 2.40 लाख करोड़ का है, जबकि ग्रुप का घाटा 10 लाख करोड़ रुपये का है। लगभग पांच गुना अधिक! रिसर्च रिपोर्ट आने के बाद से ग्रुप के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं। शेयर मार्केट में तो जैसे भूचाल आ गया है। ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, मुंबई में शेयरों में जारी गिरावट से मार्केट में हाहाकार मचा है तो देश की राजधानी दिल्ली में विपक्ष ने संसद में जमकर हंगामा काट रहे है।विपक्ष कीमांग है कि ग्रुप पर लग रहे आरोपों पर चर्चा होनी चाहिए। जांच के लिए जेपीसी का गठन होना चाहिए।मतलब एक अमेरिकी रिपोर्ट से हिले ग्रुप साम्राज्य पर अब पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। बड़ा सवाल ये कि ग्रुप का आगे क्या होगा, आज पूरी दुनिया की नजरें ग्रुप पर हैं। चाहे निवेशक हो, चाहे लोन देने वाले बैंक हो या फिर आम लोग। बीते कुछ दिनों से ग्रुप के नाम पर संसद ठप हैं, बजट पेश हो चुका है लेकिन बजट पर चर्चा नहीं हुई हैं। विपक्ष इसी बात पर अड़ा है कि जब तक जेपीसी का गठन नहीं होता तब तक संसद नहीं चलेगी। मतलब ये हंगामा अभी थमने वाला नहीं है। वहीं प्रमुख विपक्षी दल द्वारा मामला सड़क तक ले जाया गया है छह फरवरी को सभी जिलों में एलआईसी कार्यालयों और एसबीआई के बाहर मार्च निकालकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बारे में एक परिपत्र जारी कर कहा है कि सभी नेता और कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लें और इसे सफल बनाए। 

साथियों बात अगर हम अमेरिकन वित्तीय रिसर्च कंपनी की करें तो, इन मामलों पर रिसर्च करती है, इस कंपनी का मुख्य काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट, और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करना है. इस रिसर्च के जरिए कंपनी ये पता करती है कि क्या शेयर मार्केट में कहीं गलत तरह से पैसों की हेरा-फेरी हो रही है?कहीं बड़ी कंपनियां अपने फायदे के लिए अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो नहीं कर रही हैं? कोई कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में गलत तरह से दूसरी कंपनियों के शेयर को बेट लगाकर नुकसान तो नहीं पहुंचा रही है? कई बार इसकी रिपोर्ट का दिखा है असर। इस तरह रिसर्च के बाद कंपनी एक रिपोर्ट पब्लिश करती है।कई मौकों पर इस कंपनी की रिपोर्ट का दुनियाभर के शेयर मार्केट पर असर देखने को मिला है। इसी कंपनी ने हाल ही में ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की, इस रिपोर्ट में ग्रुप पर मार्केट में हेरफेर और अकाउंट में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। इसके बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है। हालांकि, उद्योगपति के नेतृत्व वाले ग्रुप ने आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया। उन्होंने दावा किया कि इस रिपोर्ट में जनता को गुमराह किया गया है।अमेरिका की इनवेस्टमेंट रिसर्च फर्म ने कहा है कि वह ग्रुप की कंपनियों के शेयर बेचकर जल्द ही निकल लेगी क्योंकि समूह भारी कर्जें में है। मीडिया में छपी खबर में कहा गया है कि समूह ने टैक्स हेवन्स में कंपनियाँ खड़ी करने की सुविधा का नाजायज़ फायदा उठाया है।रिसर्च फर्म ने दावा किया है कि यह रिपोर्ट दो साल की तहकीकात के बाद जारी की गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रुप कई सालों से स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल है।रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह रिपोर्ट जारी करने से पहले रिसर्च फर्म ने समूह में काम कर चुके कई वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात की? हजारों दस्तावेजों की पड़ताल की और लगभग आधा दर्जन देशों में समूह के ऑफिसों के चक्कर काटे हैं? 

साथियों बात अगर हम कंपनी के एक्शन की करेंतो समूह ने रिसर्च रिपोर्ट को भारत पर साजिश के तहत हमला बताया है। ग्रुप ने 413 पन्नों का जवाब जारी किया। इसमें लिखा है कि समूह पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। ग्रुप ने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट का असल मकसद अमेरिकी कंपनियों के आर्थिक फायदे के लिए नया बाजार तैयार करना है।समूह ने एक बड़ा ऐलान किया है। उद्योगपति के नेतृत्व वाले समूह ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी एंटरप्राइजेज का एफपीओ वापस लेने की घोषणा की है। कंपनी का 20 हजार करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर एक दिन पहले ही ओवर सब्सक्राइब्ड होकर बंद हुआ था। समूह ने एक बयान में कहा है कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया गया है। निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने ये फैसला किया है और वह निवेशकों के पैसे वापस लौटाएगी। 

साथियों बात अगर हम मामले के सुप्रीम कोर्ट में जाने की करें तो,कोर्ट में याचिका दाखिल कर विवादास्पद रिसर्च कंपनी के मालिक और संस्थापक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। यह याचिका एक अधिवक्ता ने दाखिल की है। याचिका में रिसर्च कंपनी के मालिक को को शार्ट सेलर बताते हुए उसके खिलाफ निर्दोष निवेशकों का शोषण और धोखाधड़ी करने के आरोप की जांच की मांग की गई है। याचिका ने उनके के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए निवेशकों को मुआवजा दिलाने की मांग की गई है। अब विपक्ष भी इसी बात पर अड़ा है कि जब तक जेपीसी का गठन नहीं होता तब तक संसद नहीं चलेगी।मतलब ये हंगामा अभी थमने वाला नहीं है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि धड़ाम, अरे बाप रे, ओ माय गॉड, सेंसेक्स से संसद अब सड़क तक एक्शन! कारपोरेट जगत में कोहराम! एक रिसर्च रिपोर्ट से कंपनियों के शेयर रेट ऐसे गिर रहे हैं मानों पतझड़ में पेड़ से पत्ते, दुनिया के निवेशक हैरान हैं।


-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 
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