Kasam kavita| कसम कविता
February 05, 2023 ・0 comments ・Topic: Nandini_laheja poem
कसम
कोई कहे कसम मुझे,कोई कहता हैं वादा।
कोई कहता मुझे वचन,
पर न हर कोई, मुझे निभाता।
मैं प्रण हूँ,मैं हूँ शपथ।
मैं दृढ हूँ,पर कठिन हैं पथ।
कभी प्रलोभनों के आगे, झुक जाता।
कभी कठिनाइयों से डर, टूट जाता।
केवल उन्होंने निभाया मुझे,
जिन्हे प्राणों से प्रिय था, उनका वादा।
मैं कसम ,कभी करूँ ,
दृढ़ लक्ष्य को तेरे,
कभी लाचार, भी कर देता।
कभी बनता कारण, बंधन का।
कभी जुदा भी कर देता।
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