22 मार्च जल दिवस विशेष| 22 March Water Day Special.

22 मार्च जल दिवस विशेष| 22 March Water Day Special.

22 मार्च जल दिवस विशेष| 22 March Water Day Special.

अगर बचानी ज़िंदगी, करें आज संकल्प।
जल का जग में है नहीं, कोई और विकल्प।

हम यह भूल जाते हैं कि पानी के बिना वे सब बेकार हैं। हम अपनी जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करते रहते हैं। कम से कम हममें से हर व्यक्ति अपने घरों और कार्यस्थलों में पानी का उचित इस्तेमाल तो कर ही सकता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि सड़क किनारे लगे हुए नलों से पानी बह रहा है और बेकार जा रहा है, लेकिन हम वहां से गुजर जाते हैं और नल को बंद करने की चिंता नहीं करते। हमें इन विषयों पर सोचना चाहिए और अपने रोज के जीवन में जहां तक संभव हो पानी बचाने की कोशिश करनी चाहिए। इस समय पृथ्वी ग्रह पर जीवन को बचाये रखने के लिए सबसे बड़ी जरूरत पानी को बचाने की है; यह सुनिश्चित करने के लिए जल संसाधनों का प्रबंधन कैसे किया जाएगा कि देश में सभी को समान मात्रा में पानी मिले।

--- डॉ सत्यवान 'सौरभ'
जैसे-जैसे जनसंख्या और अर्थव्यवस्था बढ़ती है, वैसे-वैसे पानी की मांग भी बढ़ती है। सीमित पानी और प्रतिस्पर्धी जरूरतों के साथ, पेयजल प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो गया है। अन्य कठिनाइयाँ, जैसे भूजल की कमी और अनियमित वर्षा। इन कठिनाइयों ने ग्रामीण आबादी को तनाव में डाल दिया है, जो पारंपरिक ज्ञान और जल ज्ञान के साथ अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करती है। जब स्वास्थ्य की बात आती है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पाइप से पानी की आवश्यकता होती है। पानी और ऊर्जा के संबंध को बनाये रखने के लिए जल संरक्षण को बढ़ाने और प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि यह भावी ऊर्जा उत्पादन के लिए भी बहुत जरूरी हैं।
हममें से ज्यादातर लोग यह सोचते हैं कि पानी बचाने के लिए एक अकेला आदमी क्या कर सकता है। इस तरह के विचार से हम लोग रोज पानी नष्ट कर देते हैं। आज की दुनिया में सभी लोग इस दौड़ में लगे हैं कि हम अपने घरों में बड़े-बड़े गुसलखाने बनाये, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि पानी के बिना वे सब बेकार हैं। हम अपनी जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करते रहते हैं। कम से कम हममें से हर व्यक्ति अपने घरों और कार्यस्थलों में पानी का उचित इस्तेमाल तो कर ही सकता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि सड़क किनारे लगे हुए नलों से पानी बह रहा है और बेकार जा रहा है, लेकिन हम वहां से गुजर जाते हैं और नल को बंद करने की चिंता नहीं करते। हमें इन विषयों पर सोचना चाहिए और अपने रोज के जीवन में जहां तक संभव हो पानी बचाने की कोशिश करनी चाहिए।

भारत की बात की जाए तो यहां प्रचुर मात्रा में बारिश होती है लेकिन आबादी बढ़ने के कारण देश में पानी की कमी महसूस की जा रही है। आबादी बढ़ने के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अधिक इस्तेमाल होता है। जल स्रोत, स्थानीय तालाब, ताल-तलैया, नदियां और जलाशय प्रदूषित हो रहे हैं और उनका पानी कम हो रहा है। इस समय देश की बढ़ती आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा भारत में खेती भी बारिश के भरोसे ही होती है। भारत में खेती की सफलता पानी की उपलब्धता पर ही निर्भर है, जिसमें बारिश के पानी की अहम भूमिका होती है। अच्छी वर्षा का मतलब अच्छी फसल होता है। वर्षा जल को बचाने की बहुत जरूरत है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसमें कोई तेजाबी तत्व न मिलने पाये क्योंकि इससे पानी और उसके स्रोत प्रदूषित हो जाएंगे।

तभी तो जल जीवन मिशन राष्ट्रीय जल जीवन कोष की नींव है। 15 अगस्त 2019 को भारत के माननीय प्रधान मंत्री ने एक सरकारी कार्यक्रम के बारे में एक बड़ी घोषणा की। जल जीवन मिशन का मुख्य उद्देश्य 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रति दिन 55 लीटर पानी की आपूर्ति करना है। वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण भी मिशन के सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं। पुनर्नवीनीकरण पानी और रिचार्जिंग संरचनाओं का उपयोग करना, जलमार्ग का विकास,पेड़ लगाने पर ध्यान दे रहे हैं। पारंपरिक और अन्य जल निकायों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।

यह मिशन नल कनेक्शनों को काम में लाकर नल के पानी के कनेक्शन की कमी को दूर करेगा। यह स्थानीय प्रबंधन पर आधारित है कि कितना पानी उपयोग किया जाता है और कितना उपलब्ध है। यह मिशन पानी की कटाई, पानी को सीधे धरती में डालने और घरेलू अपशिष्ट जल का प्रबंधन करने जैसी चीजों के लिए स्थानीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा ताकि इसे फिर से इस्तेमाल किया जा सके। 2024 तक ग्रामीण घर के प्रत्येक व्यक्ति को एक नल कनेक्शन से प्रतिदिन 55 लीटर पानी मिल सकेगा। मिशन समुदाय को पानी के लिए एक योजना के साथ आने में मदद करता है जिसमें बहुत सारी जानकारी, शिक्षा और संचार शामिल है। इस योजना में 3 लाख करोड़ रुपये की राशि दी गई। इस मिशन में हर कोई पानी के लिए जन आंदोलन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने में मदद करता है। हिमालयी और उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए, फंड को केंद्र और राज्य के बीच 90:10, बाकी राज्यों के लिए 50:50 और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% विभाजित किया गया है।

जल जीवन मिशन के तहत, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के एससी/एसटी बहुल गांवों में भी हर ग्रामीण परिवार को नल का पानी दिया जाता है, ताकि "कोई भी छूट न जाए।" साथ ही, उन जगहों पर नल के पानी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है, जहां पानी की गुणवत्ता खराब है, जैसे मरुस्थल और सूखा प्रभावित क्षेत्र, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बहुसंख्यक गाँव, सांसद आदर्श ग्रामीण योजना गांव, इत्यादि। पानी समितियों की योजना में गाँव की जलापूर्ति प्रणाली भी अच्छी स्थिति में है, जिसमें वे व्यवस्था को व्यवस्थित तरीके से संचालित करते हैं। इनमें से कम से कम आधे संघों में 10 से 15 सदस्य हैं, जिनमें से कम से कम आधी महिलाएं हैं। अन्य सदस्य स्वयं सहायता समूहों, मान्यता प्राप्त सामाजिक और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी शिक्षकों और अन्य स्थानों से आते हैं। समितियों ने अपने सभी संसाधनों का उपयोग करने वाले गाँव के लिए एकमुश्त कार्य योजना तैयार की हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता मिशन को अमल में लाने में कुछ समस्याएं है जिसमें प्रमुख विश्वसनीय पेयजल स्रोतों की कमी हैं। जल-तनावग्रस्त, सूखा-प्रवण और उपोष्णकटिबंधीय जैसे क्षेत्रों में, भूजल, असमान इलाके और बिखरी हुई ग्रामीण बस्तियों में स्थान-विशिष्ट संदूषकों की उपस्थिति है तो साथ ही, गांव में जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे के प्रबंधन और संचालन के लिए स्थानीय ग्राम समुदायों की अक्षमता आड़े आती है। कुछ राज्यों में, विशेष रूप से कोविड -19 महामारी के बाद, मैचिंग स्टेट शेयर जारी करने में देरी भी इस मिशन की सफलता के रास्ते में बाधा बन रही है। जल जीवन मिशन में अब तक की प्रगति देखे तो जिस समय जल जीवन मिशन की घोषणा की गई थी, उस समय 18.93 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 17.1% के पास नल के पानी के कनेक्शन थे। इसका मतलब यह हुआ कि 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन थे।

जेजेएम के तहत अब तक 5.38 करोड़ (28%) ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन स्थापित किए जा चुके हैं। इसलिए, देश के 19.22 बिलियन ग्रामीण परिवारों में से 8.62 बिलियन (या 44.84 प्रतिशत) पीने योग्य नल का पानी है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और पुडुचेरी जैसे राज्यों के ग्रामीण इलाकों में नल से बहते पानी वाले घरों की संख्या 100% तक पहुंच गई है। "हर घर जल" हर किसी की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है। मिशन का प्राथमिक उद्देश्य जितना हो सके कम से कम बर्बाद करते हुए पानी की बचत करना है। इस समय पृथ्वी ग्रह पर जीवन को बचाये रखने के लिए सबसे बड़ी जरूरत पानी को बचाने की है; यह सुनिश्चित करने के लिए जल संसाधनों का प्रबंधन करके किया जाएगा कि देश में सभी को समान मात्रा में पानी मिले।
जल से धरती है बची, जल से है आकाश !
जल से ही जीवन जुड़ा, सबका है विश्वास !!

About author


डॉo सत्यवान 'सौरभ'
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045
facebook - https://www.facebook.com/saty.verma333
twitter- https://twitter.com/SatyawanSaurabh
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url